Motihari: मोतिहारी.पूर्वी चंपारण जिला अब स्वच्छता और सतत विकास की दिशा में मिसाल कायम कर रहा है. सदर प्रखंड स्थित गोढ़वा और रुलही पंचायत में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाई के माध्यम से कचरे को संसाधित कर जैविक खाद तैयार की जा रही है. यह खाद न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण में सहायक सिद्ध हो रही है, बल्कि किसानों को भी उपज बढ़ाने में मदद मिल रही है. ब्लॉक कोऑर्डिनेटर गणेश कुमार ने बताया कि अपशिष्ट प्रबंधन केंद्रों से अलग-अलग तरह के कचरे को एकत्र कर आधुनिक प्रक्रिया से उसे जैविक खाद में बदला जा रहा है. अब तक 100 क्विंटल से अधिक खाद की बिक्री हो चुकी है. इसकी कीमत विभाग द्वारा 10 रुपये प्रति किलोग्राम तय की गई है. फिलहाल यह खाद ट्रायल के रूप में भी किसानों को दी जा रही है, ताकि वे इसका उपयोग कर अनुभव कर सकें.
रासायनिक खाद की तुलना में सस्ती और सुरक्षित
इस खाद की खास बात यह है कि यह पूरी तरह प्राकृतिक है और इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है. रासायनिक खाद की तुलना में यह सस्ती और सुरक्षित विकल्प के रूप में उभर रही है.
केसरिया महोत्सव में लगायी गयी थी प्रदर्शनी
जैविक खाद की प्रदर्शनी केसरिया महोत्सव में भी लगाई गई थी, जहां बड़ी संख्या में किसानों ने इसे देखा और इसके उपयोग को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी. जिलास्तर पर इसे एक मॉडल के रूप में विकसित किया जा रहा है ताकि अन्य प्रखंडों में भी ऐसी इकाइयों की स्थापना की जा सके.
– कचरे से कंचन के रूप में उभर रही है योजना
डीएम की नजर में यह पहल एक “कचरे से कंचन ” योजना के रूप में तेजी से उभर रही है, जिससे न सिर्फ स्वच्छता को बल मिलेगा, बल्कि ग्रामीण आजीविका और पर्यावरण सुधार में भी उल्लेखनीय योगदान होगा. पूर्वी चंपारण के लिए यह एक नई दिशा है,जहां कचरे से हरियाली की नींव रखी जा रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है