जीविका के सर्वे से मिली जानकारी, जिले में 18 हजार 534 महिलाएं गर्भवती उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर जिले में गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. जीविका के हालिया सर्वे के अनुसार, जिले में 18 हजार 534 गर्भवती महिलाओं में से 15 फीसदी यानी 2,739 महिलाएं कुपोषण की शिकार हैं. इन्हें रेड जोन में रखा गया हैं. इनमें से कुछ महिलाओं में एनीमिया है, तो कुछ को पर्याप्त पोषण नहीं मिल रहा है. यह स्थिति न केवल गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है, बल्कि होने वाले बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर भी गंभीर असर डाल रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि मां और बच्चे के स्वस्थ रहने के लिए गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त पोषण और नियमित स्वास्थ्य जांच अत्यंत आवश्यक है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं में कुपोषण और एनीमिया की समस्या गंभीर है. कुपोषित महिलाओं में खून की कमी, कम वजन, और पोषक तत्वों की कमी का मुख्य कारण स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच का अभाव और जागरूकता की कमी है. कई गर्भवती महिलाएं सरकारी अस्पतालों में निबंधन तो कराती हैं, लेकिन नियमित जांच के लिए अस्पताल नहीं पहुंचतीं. इससे उनकी स्वास्थ्य स्थिति पर नजर नहीं रखी जा सकती, कुपोषित मांओं से जन्म लेने वाले बच्चे अक्सर कम वजन या जन्मजात स्वास्थ्य समस्याओं के साथ पैदा होते हैं, जो दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ाता है. जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी एक बड़ी चुनौती है. ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति अपर्याप्त है. कई केंद्रों में पर्याप्त दवाइयां और पोषण सामग्री की कमी है. नियमित पोषण और स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिलने के कारण उन्हें कई तरह की समस्याएं हो रही हैं. कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए सरकार का पोषण अभियान और ममता योजना का लाभ भी गर्भवतियों को नहीं मिल रहा है.
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