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बिहार के विश्वविद्यालयों में एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट जरूरी, छात्रों की बनेगी एबीसी आईडी, हर सेमेस्टर के जुड़ेंगे क्रेडिट

च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू होने के बाद बिहार के विश्वविद्यालयों में एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट जरूरी हो गया है. इसके लिए छात्रों का आईडी कार्ड बनाया जाएगा.

धनंजय पांडेय, मुजफ्फरपुर. उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं का अब एबीसी यानि एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट आइडी बनेगा. बीआरए बिहार विश्वविद्यालय सहित राज्य के विश्वविद्यालयों में स्नातक और पीजी स्तर पर सीबीसीएस (च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम) लागू होने के बाद एबीसी अनिवार्य कर दिया गया है. छात्र को एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट पोर्टल पर पंजीकरण करने के बाद 12 डिजिट का यूनिक कोड प्रदान किया जायेगा. यह छात्रों को अपनी शैक्षणिक प्रगति का रिकॉर्ड रखने और विभिन्न संस्थानों में अपनी क्रेडिट को स्थानांतरित करने में मदद करेगा.

यूजीसी की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट प्लेटफार्म पर अभी तक करीब तीन करोड़ छात्र जुड़ चुके हैं. यूजीसी ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को छात्रों का एबीसी आइडी बनाने के लिए दिशा-निर्देश दिया है. पढ़ाई के दौरान छात्र कोई भी कोर्स करता है, तो उसके क्रेडिट बैंक में जमा होते रहेंगे. इसके अलावा क्रेडिट फ्रेमवर्क का भी उसको फायदा मिलेगा. स्नातक और पीजी में सीबीसीएस लागू होने के बाद हर सेमेस्टर में छात्रों को क्रेडिट स्कोर मिलेंगे. एकेडमिक अकाउंट में छात्र अपने क्रेडिट के साथ ही ट्रांसक्रिप्ट और सर्टिफिकेट भी अपलोड कर सकते हैं.

दूसरे संस्थान में शिफ्ट होने पर मिलेगी सहूलियत

ग्रेजुएशन में चार साल का कोर्स लागू हो चुका है. इसमें ग्रेजुएशन के दौरान छात्रों को मल्टीपल एंट्री और एग्जिट का विकल्प मिलता है. एकेडमिक अकाउंट में छात्र द्वारा हासिल किये गये क्रेडिट स्टोर होते रहेंगे. अभी तक एक संस्थान से दूसरे संस्थान में दाखिला लेने में छात्रों को दिक्कतें होती थीं, लेकिन राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क का प्रावधान लागू होने के बाद अब वह आसानी से दूसरे संस्थान में शिफ्ट कर सकेगा. साथ ही मल्टीपल एंट्री व एग्जिट का प्रावधान होने से वह अपनी पढ़ाई ब्रेक के बाद दोबारा भी शुरू कर सकेगा.

परीक्षा फॉर्म भरने के समय अनिवार्य होगा एबीसी आइडी

एबीसी आइडी के बिना छात्र परीक्षा फॉर्म भी नहीं भर सकेंगे. यूजीसी की ओर से जारी गाइडलाइन में कहा गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के लिए एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट बनाना जरूरी है. एबीसी आइडी बनाये बिना विद्यार्थी परीक्षाओं के फॉर्म नहीं भर सकेंगे. इसमें छात्रों के स्कोर किये हुए क्रेडिट यानी उनके मार्क्स और पर्सनल डिटेल मौजूद रहते हैं, जिसका कहीं भी प्रवेश लेते समय या किसी दूसरे काम में इस्तेमाल किया जा सकता है.

राज्य के विश्वविद्यालयों में शुरू हुई कवायद

बीआरए बिहार विश्वविद्यालय सहित राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट सह नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी बनाने की कवायद शुरू हो गयी है. सोमवार को उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी विश्वविद्यालयों के नोडल अधिकारियों की बैठक की गयी, जिसमें शिक्षा परामर्शी डॉ एनके अग्रवाल ने मार्गदर्शन किया.

उच्च शिक्षा निदेशक डॉ रेखा कुमारी ने सभी विश्वविद्यालयों को पिछले हफ्ते पत्र भेजकर एबीसी सह नैड के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करते हुए बैठक में जुड़ने को कहा था. बिहार विश्वविद्यालय में डीएसडब्ल्यू प्रो अभय कुमार सिंह को नोडल अधिकारी बनाया गया है. प्रो सिंह ने बताया कि डिजीलॉकर से ही एबीसी जुड़ा रहेगा. विश्वविद्यालय में अलग सेल गठित कर टेक्निकल स्टाफ रखे जायेंगे.

Also Read : कॉलेजों से मांगी परीक्षा फॉर्म वेरीफाइ करने वाले शिक्षक-कर्मियों की जानकारी

Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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