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कम मानदेय पर फूटा गुस्सा, बैठने की जगह नहीं मिलने पर विधायक का छलदा ””दर्द””

कम मानदेय पर फूटा गुस्सा, बैठने की जगह नहीं मिलने पर विधायक का छलदा ''दर्द''

-पार्षदों ने 2500 रुपये मासिक मानदेय को बढ़ा कर 15 हजार करने की मांग रखी -बजट में 80 लाख रुपये का किया गया प्रावधान

-सांसदों के वेतन में 24 प्रतिशत वृद्धि का हवाला देकर पार्षदों ने दोहरे मापदंडों पर उठाये सवाल

मुजफ्फरपुर.

मुजफ्फरपुर नगर निगम बोर्ड की विशेष बैठक में बजट चर्चा के दौरान मानदेय के मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ. पार्षदों ने अपने कम मानदेय को लेकर आक्रोश व्यक्त किया. वहीं विधायकों ने भी नगर निगम ऑफिस में बैठने के लिए जगह न होने पर अपना दर्द बयां किया. पार्षदों ने कहा कि वे अधिकारियों और कर्मचारियों से अधिक मेहनत करते हैं, लेकिन उन्हें मात्र 2500 रुपये मासिक मानदेय मिलता है. उन्होंने बीमा जैसी सुविधाओं की कमी पर भी सवाल उठाये. पार्षदों ने सांसदों के वेतन में हाल ही में हुई 24 प्रतिशत वृद्धि का उदाहरण देते हुए ””””दोहरे”””” मानकों पर भी प्रश्नचिह्न लगाया. विधायक विजेंद्र चौधरी ने पार्षदों का समर्थन करते हुए कहा कि उनके पास भी निगम में बैठने के लिए कोई जगह नहीं है. उन्होंने एक ऐसे कक्ष की आवश्यकता बताई, जहां पार्षद, विधायक और आम जनता बैठ सकें. महापौर निर्मला साहू ने नई चार मंजिला इमारत के निर्माण का उल्लेख किया, लेकिन पार्षदों ने बताया कि दो साल पहले शिलान्यास होने के बावजूद निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है. पार्षदों ने कहा कि राज्य व केंद्र दोनों में एनडीए की सरकार है. फिर निर्माण के लिए फंड मिलने में देरी क्यों. पार्षदों ने राज्य और केंद्र सरकारों से फंड जारी करने की मांग की और कहा कि यदि आवश्यक हो तो निगम अपने फंड से निर्माण करे, लेकिन अब और देरी न हो. इधर, बजट में पार्षदों के मानदेय मद में 80 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है. लेकिन, बढ़ी राशि, तब मिलेगी, जब सरकार अनुमति देगी. तत्काल मेयर को 12, उप मेयर को 10 एवं पार्षदों को 2500 रुपये ही मिलते रहेंगे.मुजफ्फरपुर नगर निगम बोर्ड की विशेष बैठक में बजट चर्चा के दौरान मानदेय के मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ. पार्षदों ने अपने कम मानदेय को लेकर आक्रोश व्यक्त किया. वहीं विधायकों ने भी नगर निगम ऑफिस में बैठने के लिए जगह न होने पर अपना दर्द बयां किया. पार्षदों ने कहा कि वे अधिकारियों और कर्मचारियों से अधिक मेहनत करते हैं, लेकिन उन्हें मात्र 2500 रुपये मासिक मानदेय मिलता है. उन्होंने बीमा जैसी सुविधाओं की कमी पर भी सवाल उठाये. पार्षदों ने सांसदों के वेतन में हाल ही में हुई 24 प्रतिशत वृद्धि का उदाहरण देते हुए ””””दोहरे”””” मानकों पर भी प्रश्नचिह्न लगाया. विधायक विजेंद्र चौधरी ने पार्षदों का समर्थन करते हुए कहा कि उनके पास भी निगम में बैठने के लिए कोई जगह नहीं है. उन्होंने एक ऐसे कक्ष की आवश्यकता बताई, जहां पार्षद, विधायक और आम जनता बैठ सकें. महापौर निर्मला साहू ने नई चार मंजिला इमारत के निर्माण का उल्लेख किया, लेकिन पार्षदों ने बताया कि दो साल पहले शिलान्यास होने के बावजूद निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है. पार्षदों ने कहा कि राज्य व केंद्र दोनों में एनडीए की सरकार है. फिर निर्माण के लिए फंड मिलने में देरी क्यों. पार्षदों ने राज्य और केंद्र सरकारों से फंड जारी करने की मांग की और कहा कि यदि आवश्यक हो तो निगम अपने फंड से निर्माण करे, लेकिन अब और देरी न हो. इधर, बजट में पार्षदों के मानदेय मद में 80 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है. लेकिन, बढ़ी राशि, तब मिलेगी, जब सरकार अनुमति देगी. तत्काल मेयर को 12, उप मेयर को 10 एवं पार्षदों को 2500 रुपये ही मिलते रहेंगे.

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