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जहां-जहां से निकली बाबा गरीबनाथ की बारात, लोगों ने पुष्पवर्षा कर किया स्वागत-सत्कार

महाशिवरात्रि के अवसर पर मुजफ्फरपुर में जब बाबा गरीबनाथ की बारात निकली तो सबसे आगे मूसका पर गणेश जी विराजमान थे और उनके पीछे दो दर्जन देवी-देवताओं के मनमोहक स्वरूप के साथ माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ चल रहे थे.

मुजफ्फरपुर. दूल्हा रूप धारण किये महादेव और उनके पीछे विभिन्न देवताओं के रूप को देखकर मन में भक्ति की भावनाएं हिलोरे मार रही थी. लोग आह्लादित होकर दूल्हा रूप धारण किये शिव को देखकर उसके स्वागत-सत्कार में पलकें बिछाए थे. उनके पीछे घोड़े, बैंड बाजा, भूत-बैताल से सजी बारात सबका ध्यान अपनी ओर खींच रही थी. लोग गदगद थे और हो भी क्यों न बाबा गरीबनाथ दूल्हा बन निकले थे. 

महाशिवरात्रि के मौके पर रामभजन बाजार से दोपहर में जब बाबा गरीबनाथ की बारात निकली तो सबसे आगे मूसक पर बैठे गणेश जी और उनके पीछे माता-पार्वती और भगवान भोलेनाथ साथ में दो दर्जन देवताओं के मनमोहक रूप के साथ पूरा इलाका शिव-पार्वती के जयघोष से गुंजायमान हो उठा. हवा में तैरते गणेश जी और गदा लहराते हनुमान को देखकर हर कोई कौतुहलवश उन्हें निहारता ही रह जाता. झांकी की अद्भुत सजावट और उसमें सवार देवता शहरवासियों के कल्याण का आशीष देते आगे बढ़ रहे थे. 

झांकी के साथ चल रहे यमराज को देखकर लोग उन्हें प्रणाम कर रहे थे. बुजुर्ग, बच्चे, युवा, महिलायें सभी का उत्साह देखते ही बन रहा था. जैसे-जैसे बारात शहर के विभिन्न चौक चौराहों से गुजर रही थी. मोहल्लावासी थाल सजाये दूल्हा रूप धारण किये भगवान शिव-पार्वती और देवताओं की आरती उतार रहे थे. बारात के साथ चलने वाले श्रद्धालुओं को शरबत, पानी देकर देकर उनका जगह-जगह स्वागत किया गया. 

विभिन्न स्थलों से भ्रमण कर बारात जैसे-जैसे बाबा गरीबनाथ मंदिर की ओर बढ़ रही थी. लोगों का उत्साह बढ़ता जा रहा था. सरैयागंज टावर चौक पर लोग दूल्हा रूप धारण किये शिव और उनकी बारात को देखने के लिए प्रथम और द्वितीय तल पर चढ़ गये थे. लोग अपने घरों की छत से बारात पर पुष्प वर्षा कर रहे थे. 

मंगल गीतों से आनंदमय हुई बाबा गरीबनाथ नगरी

मिथिलांचल और बज्जिकांचल में शादी समारोह में मंगल गीतों की परंपरा रही है. ऐसे में जब बाबा गरीबनाथ स्वयं दूल्हा बन निकले तो उनके सम्मान में महिलाओं ने मंगल गीत गाए. मंदिर परिसर में पहुंचने के बाद उनकी आरती उतारी गई. रात्रि में विवाह के विभिन्न रस्मों को पूरा किया गया. बाबा गरीबनाथ को आकर्षक मौड़ी पहनाई गई. वहीं माता पार्वती के साथ गठजोड़ किया गया. मंगल गीतों का दौड़ पूरी रात जारी रहा. इस दौरान पूरी रात बाबा गरीबनाथ मंदिर का पट खुला रहा. शहरवासी बाबा के दर्शन को पहुंचते रहे. 

बाबा गरीबनाथ मंदिर का इतिहास 

बाबा गरीबनाथ मंदिर को लेकर कहा जाता है कि यह इलाका चारों ओर से जंगल से घिरा था. मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित विनय पाठक कहते हैं करीब दो सौ वर्ष पहले यहां के जमींदार रहे मदन मोहन मिश्र की जमीन नीलाम की गयी थी. इसे शहर के चाचान परिवार ने इसे खरीदा और जंगल की सफाई शुरू कराई. यहां सात पीपल के पेड़ भी थे.  मजदूरों ने जब सातवें पेड़ के पास खुदाई शुरू की तो एक मजदूर की कुल्हाड़ी एक पत्थर से जा टकराई.  इस  दौरान  पत्थर से लाल द्रव निकलने लगा.  यह देख खुदाई रोक दी गयी.  साथ ही चाचान परिवार ने सात धुर जमीन को घेर कर पूजा-पाठ शुरू कराया. बाद में उस पत्थर को दूसरे जगह ले जाने के लिए खुदाई शुरू करायी गयी.  बाबा गरीबनाथ की महिमा ऐसी कि जैसे-जैसे खोदाई होता गया पत्थर का स्वरूप बड़ा होता गया. इसके बाद से पूजा-पाठ शुरू हो गया.  परिसर में आज भी पीपल का पेड़ है. शिवलिंग पर कटे का निशान भी विद्यमान है. समय के साथ बाबा गरीबनाथ की महिमा चारों ओर फैली. अब कई राज्यों और नेपाल तक से लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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