Muzaffarpur, विनय कुमार: तीन वर्ष के अंदर मुजफ्फरपुर में जलीय पक्षियों की संख्या एक चौथाई से भी कम हो गयी है. वर्ष 2022 में जहां जिले में 1777 जलीय पक्षी थे. वहीं, अब करीब 350 पक्षी बचे हैं. इसका खुलासा वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा जिले में कराये गये एशियन जलीय पक्षी गणना में हुआ है. सूबे में दो फरवरी से जलीय पक्षियों की गणना शुरू हुई थी, जो अब समाप्त हो गयी है.हाजीपुर के जंतु विज्ञान विभागाध्यक्ष सह बर्ड एक्सपर्ट डॉ सत्येंद्र कुमार पक्षियों की गणना के ऑर्डिनेटर बनाये गये थे. इन्होंने अपनी टीम के साथ शहर के झपहां, गंडक नदी, मनिका मन सहित जिले के अन्य पोखरों के समीप पक्षियों का मुआयना किया, जिसमें करीब 350 पक्षी दिखे. यह बीज फैलाने वाले, परागण करने वाले और मैला ढोने वाले के रूप में अपनी भूमिका के कारण पारिस्थितिकी तंत्र इंजीनियर कहलाते हैं.
पानी के प्रदूषित होने से लगातार घट रही पक्षियों की संख्या
बर्ड एक्सपर्ट का मानना है कि पानी के प्रदूषित होने के कारण जलीय पक्षियों की संख्या लगातार घट रही है. दूसरा पहले जितने पोखर थे, उसमें से कई सूख गये हैं. पानी नहीं होने के कारण जलीय पक्षी नहीं ठहरते और दूसरी जगह शरण लेते हैं. इस कारण जिले में इन पक्षियों की संख्या लगातार घट रही है. पहले वरमोरेंज गॉरमोरेंट और एफिल डील स्टॉक जैसे दुर्लभ पक्षी काफी संख्या में दिखते थे. अब उनकी संख्या नगण्य रह गयी है.

पक्षी गणना टीम में शामिल रहे वैज्ञानिक
तिरहुत वॉटरबर्ड सेंसस 2025 में बर्ड एक्सपर्ट डॉ सत्येंद्र कुमार की टीम में रामेश्वर सिंह कॉलेज के जंतु विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ धीरज कुमार, रामदयालु सिंह कॉलेज के जंतु विज्ञान विभागाध्यक्ष आशुतोष मिश्रा, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की पीएचडी शोध छात्रा अनुपमा जायसवाल, फॉरेस्टर मोहम्मद अमान, वनरक्षी मकसूद आलम शामिल थे. यह गणना तिरहुत वन प्रमंडल के प्रमंडल पदाधिकारी भरत चिंतमपल्ली के नेतृत्व में आयोजित हुआ.
बर्ड एक्सपर्ट ने मनिका मन में की पक्षी की गणना
बर्ड एक्सपर्ट ने मंगलवार को मनिका मन में जलीय पक्षियों की गणना की. बर्ड एक्सपर्ट की टीम यहां एक घंटे तक रही और मन में आने वाले पक्षियों को देखा. टीम के लोगों को पक्षी का मंडराना नजर आया, लेकिन उनकी संख्या काफी कम थी. टीम के एक्सपर्ट डॉ धीरज व आशुतोष ने कहा कि लोगों को पक्षी संरक्षण की दिशा में आगे आने की जरूरत है. जब तक लोग सजग नहीं होंगे हमारी नदियों और पोखर में प्रवासी पक्षी नहीं आयेंगे.
जलीय पक्षी के लाभकारी काम
- यह पक्षी जलीय पौधों की वृद्धि को नियंत्रित करना
- क्षेत्रों में ऑक्सीजन की उपलब्धता को बढ़ाना
- पोखर और नदी के हानिकारक जीव केकड़े और घोंघा को खाना
- मल के जरिए जल और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाना
- ठंड के आगमन की सूचना देना
- जलीय क्षेत्रों के स्वस्थ वातावरण का पता लगाने में मदद करना
- टूरिज्म को बढ़ावा देना
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क्या बोले कॉर्डिनेटर
तिरहुत वॉटरबर्ड सेंसस 2025 के कॉर्डिनेटर डॉ सत्येंद्र कुमार ने कहा कि तीन साल के बाद जलीय पक्षियों की गणना की गयी. इस बार काफी कम पक्षी दिखे. कई दुर्लभ पक्षियों की संख्या नहीं के बराबर है. इसका कारण तालाब, नदियों और चौर के पानी का प्रदूषित होना है. तालाब सूखने के कारण भी इस बार प्रवासी पक्षी काफी कम संख्या में आये हैं. इसको बढ़ावा देने की जरूरत है. नागरिक विज्ञान को मजबूत कर ही हम पक्षियों की संख्या बढ़ा सकते हैं. इसके लिए सरकारी स्तर पर फंडिग की भी जरूरत है. मुजफ्फरपुर में पक्षियों की गणना हो चुकी है. इसकी रिपोर्ट वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को सौंपी जायेगी.
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