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च्वाइस नंबर पर एक साल में बिहारवासियों ने खर्च किये 2391 लाख

Craze for fancy numbers! Rs 23.91 crore spent in one year

फैंसी नंबरों का क्रेज! एक साल में 23.91 करोड़ रुपये खर्च, दूसरे नंबर पर मुजफ्फरपुर

च्वाइस नंबर पर एक साल में बिहारवासियों ने खर्च किये 2391 लाख

– उत्तर बिहार के 11 जिलों में 543.09 लाख रुपये खर्च किये

– पटना में 5709, मुजफ्फरपुर में 1230 गया में 921 वाहन मालिकों ने एक्सट्रा शुल्क देकर खरीदा च्वाइस नंबर

– बिहार में 14721 वाहन मालिकों ने खरीदे च्वाइस नंबर

कुमार गौरव

, मुजफ्फरपुर

वाहनों के लिए मनपसंद या च्वाइस नंबर का क्रेज बिहार में तेजी से बढ़ रहा है. बीते एक वित्तीय वर्ष में बिहार के 38 जिलों में 14721 वाहन मालिकों ने 2391 लाख रुपये खर्च किये. वहीं उत्तर बिहार के 12 जिलों में 3573 लोगों ने च्वाइस नंबर के लिए 585.50 लाख रुपये खर्च किये. च्वाइस नंबर की खरीदारी में पहले नंबर पटना, दूसरे नंबर पर मुजफ्फरपुर और तीसरे नंबर पर गया जिला है. इसमें नंबर के सीरियल वाइज इसकी कीमत भी तय है और जब इसकी डिमांड बढ़ी तो परिवहन विभाग ने इन नंबरों को ई-नीलामी करनी शुरू कर दी, जो पहले आओ और पहले पाओ के आधार पर थी. परिवहन विभाग के वेबसाइट पर इन नंबरों की नीलामी होती है और सबसे अधिक बोली लगाने वाले वाहन मालिकों को यह नंबर उपलब्ध होता है. इसमें 0001, 0003, 0005, 0007, 0009 इसके नीलामी की कीमत एक लाख रुपये से शुरू ही होती है. इसकी दिवानगी का आलम यह है कि लोग इन नंबरों की चाहत में नंबर के सीरिज के समाप्त होने तक का इंतजार भी करते है. कभी कभी तो 0001 नंबर की बोली सवा से डेढ़ लाख रुपये तक पहुंच जाती है. जो नीलामी में सबसे अधिक बोली लगाता है उसे ये नंबर उपलब्ध होते है. च्वाइस नंबर की चार कैटेगरी है. पहले में एक लाख, दूसरे में 75,000 रुपये, तीसरे में 50,000 रुपये, चौथे में 25,000 रुपये. इधर, डीटीओ कुमार सत्येंद्र यादव ने बताया कि मनपसंद नंबर के लिए वेबसाइट पर यूएएन (यूनिक एकनॉलेजमेंट नंबर) पर जाना है. जिसपर निबंधन और बोली लगायी जा रही है. इस नीलामी में भाग लेने के लिए पहले वाहन मालिकों को एक हजार रुपये शुल्क देकर पंजीकरण कराना होता है, जो नन रिफंडेबल है.

दूसरे कैटेगरी में अधिक नंबर डबलिंग वाले

दूसरे कैटेगरी में 0002, 0004, 0006, 0008 के अलावा 0010, 0011, 0022 डबलिंग वाले नंबर अधिक है. इसी में 1000, 2000 तो 1111, 2222 आदि नंबर आते है. वहीं तीसरे कैटेगरी में 1100, 1200, 2001, 0100, 0101, 0202 आदि नंबर आते है. चौथे कैटेगरी में 1010, 1212, 4848, 4041, 6061, 1020 के अलावा 1983, 2001, 2017, 2029 आदि नंबर आते है. नंबर की च्वाइस लोगों की अलग अलग होती है. कोई अपने जन्मतिथि के साल का तो कोई शादी के साल का नंबर लेते है. कोई ज्योतिष शास्त्र को लेकर तो कोई अपने स्टेटस सिंबल को लेकर इन नंबरों की खरीदारी करते है. इन चार कैटेगरी के अलावा जो अन्य आपका लक्की या मन पसंदीदा नंबर है तो उसके लिए आपको 15,000 रुपये तक देने होते है. कैटेगरी के अलावा जो नंबर मिलते है इसमें ई-नीलामी नहीं होती है, पहले आओ पहले पाओ के आधार पर यह नंबर एलॉट होता है.

आंकड़ा टॉप जिलों का

जिलाफैंसी नंबर की संख्याराशि (लाख रुपये)

पटना5709974.97

मुजफ्फरपुर1230187.40

गया921135.29

पूर्णिया627114.72

मोतिहारी51991.00

बेगूसराय65187.72

रोहतास65477.75—————————————————-

उत्तर बिहार के जिले का आंकड़ा

जिलाफैंसी नंबर की संख्याराशि (लाख रुपये)

मुजफ्फरपुर1230187.40

मोतिहारी51991.00

बेतिया24349.32

दरभंगा23245.55

गोपालगंज38442.41

वैशाली24139.87

सिवान24935.81

छपरा18531.27

मधुबनी8921.79

समस्तीपुर9820.17

सीतामढ़ी9318.37

शिवहर102.54

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