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पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे में देरी : 100 रुपये की रजिस्ट्री में भी कानूनी अड़चनें से भाई-भाई में बढ़ रहा विवाद

Disputes between brothers are increasing

::: शेड्यूल बना पारिवारिक बंटवारा में ढिलाई, रजिस्टर्ड बंटवारा में फंस रही कानूनी अड़चन

::: सीओ ऑफिस में लंबित शेड्यूल के आधार पर पारिवारिक बंटवारा के आवेदन को निष्पादित करने में ढीलई

::: वर्ष 2019 में 100 रुपये के स्टांप व निबंधन शुल्क पर पारिवारिक बंटवारा करने का कानून है लागू

देवेश कुमार, मुजफ्फरपुर

पैतृक संपत्ति के बंटवारे को सरल बनाने के लिए बिहार सरकार ने छह साल पहले 100 रुपये के मामूली शुल्क पर पारिवारिक बंटवारा रजिस्ट्री का प्रावधान लागू किया था. इसका उद्देश्य भाई-भाई के बीच जमीन विवादों को कम करना था, लेकिन पुराने दस्तावेजों की अनुपलब्धता और अंचल कार्यालयों की ढिलाई के कारण यह कानून मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों में अपेक्षित सफलता नहीं पा रहा है. नतीजतन, हजारों परिवार जमीन बंटवारे की कानूनी अड़चनों में फंसे हुए हैं. सरकार ने अंचल अधिकारियों (सीओ) को पारिवारिक वंशावली के आधार पर शेड्यूल तैयार कर अलग-अलग भाइयों और बहनों के नाम जमाबंदी कायम करने का अधिकार दिया है. यह प्रक्रिया जमीन सर्वे में किसी भी प्रकार की परेशानी से बचने के लिए महत्वपूर्ण है. हालांकि, अंचल कार्यालयों की मनमानी और निष्क्रियता के कारण यह प्रक्रिया धीमी पड़ गयी है, जिससे लंबित आवेदनों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हाल ही में तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त की समीक्षा बैठक में यह मुद्दा प्रमुखता से उठा. कमिश्नर ने इसपर चिंता व्यक्त करते हुए सभी जिलाधिकारियों (डीएम) को लंबित आवेदनों को तेजी से निष्पादित करने और अलग-अलग नामों से जमाबंदी कायम करने का सख्त निर्देश दिया है, ताकि जमीन सर्वे के दौरान लोगों को किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े.

बॉक्स :

पैतृक संपत्ति की रजिस्ट्री के नियम और अड़चनें

दादा की संपत्ति का ही होगा रजिस्टर्ड बंटवारा (पिता के जीवित रहते) : पारिवारिक बंटवारे के तहत केवल दादा या पिता के नाम की खतियानी या खरीदी गई संपत्ति को ही पैतृक मानकर रजिस्ट्री का प्रावधान है. हालांकि, इसमें एक महत्वपूर्ण शर्त है:

– यदि दादा का देहांत हो चुका है और पिता जीवित हैं, तो केवल दादा के नाम की संपत्ति ही पारिवारिक बंटवारे की श्रेणी में आयेगी.

– पिता के जीवित रहते उनकी संपत्ति का बंटवारा यदि पुत्रों द्वारा कराया जाता है, तो उसे गिफ्ट या सेल डीड के माध्यम से ही कराना होगा, न कि पारिवारिक बंटवारे के तहत.

समझे 100 रुपये की रजिस्ट्री का नियम, नहीं मिल रही सफलता

वर्ष 2019 से लागू इस नियम के तहत पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे की डीड की रजिस्ट्री मात्र 100 रुपये (50 रुपये का स्टांप शुल्क 50 रुपये का निबंधन शुल्क) में की जा सकती है. यह एक बेहद किफायती विकल्प है, लेकिन पिछले छह सालों में केवल 1500-2000 ही रजिस्टर्ड पारिवारिक बंटवारे हो सके हैं. इसकी मुख्य वजह प्रचार-प्रसार और जागरूकता का अभाव है. जानकारी की कमी के कारण लोग अक्सर महंगे स्टांप शुल्क देकर सामान्य केवाला (बिक्री पत्र) करा लेते हैं, जबकि वे अपनी पैतृक संपत्ति का किफायती पारिवारिक बंटवारा नहीं कर पाते. इससे न केवल वे आर्थिक नुकसान उठाते हैं, बल्कि भविष्य में जमीन विवादों की संभावना भी बनी रहती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Devesh Kumar
Devesh Kumar
I am working as a senior reporter at Prabhat Khabar muzaffarpur. My writing focuses on nagar nigam political, social, and current topics.

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