वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर
उत्तर बिहार का सबसे बड़ा औद्योगिक केंद्र, बेला औद्योगिक क्षेत्र, विकास और उपेक्षा की दोहरी तस्वीर पेश कर रहा है. एक तरफ, विस्तारित नये क्षेत्र में चमकती सड़कों और पर्याप्त रोशनी से सुसज्जित है, तो वहीं दूसरी ओर, पुराना फेज-2 मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जूझ रहा है. हालात यह है कि फेज-2 के मुख्य प्रवेश द्वार पर ही गंदगी भरे पानी और कीचड़ की भरमार है, जिससे उद्यमियों और श्रमिकों को रोज हिचकोले खाते हुए प्रवेश करना पड़ता है. यह स्थिति तब है, जब मुख्य द्वार से महज 300 मीटर की दूरी पर सड़कें चकाचक हैं. उद्यमियों का कहना है कि सरकार की औद्योगिक नीति सभी के लिए एक समान है, लेकिन सुविधाओं के मामले में फेज-2 को पूरी तरह से उपेक्षित कर दिया गया है.बेला औद्योगिक क्षेत्र के बारें में
बेला औद्योगिक क्षेत्र फेज-1 व 2 करीब 16 किमी. का क्षेत्रफल हैप्रतिवर्ष 150 करोड़ से अधिक का कारोबार होता है दोनों फेज में छोटे-बड़े 427 यूनिट संचालित है. औद्योगिक क्षेत्र में लगभग 1.5 लाख श्रमिक काम करते है. प्रतिदिन छोटे बड़े 5 हजार वाहनों का होता है, आनाजाना औद्योगिक क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट की स्थिति जर्जरबदहाल व्यवस्था के बीच कारोबार
बेला औद्योगिक क्षेत्र (फेज-1 व 2) का कुल क्षेत्रफल लगभग 16 किलोमीटर है, जहां छोटे-बड़े 427 औद्योगिक इकाइयां संचालित हैं. इन इकाइयों से प्रतिवर्ष 150 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार होता है, और करीब 1.5 लाख लोगों को रोजगार मिलता है. इन सबके बावजूद, औद्योगिक क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट की स्थिति जर्जर है, जिससे रात के समय आवागमन करना जोखिम भरा हो जाता है.
यातायात का दबाव और खतरा
औद्योगिक क्षेत्र में प्रतिदिन लगभग 5 हजार छोटे-बड़े वाहनों का आना-जाना होता है. फेज-2 के मुख्य द्वार पर जमा पानी और कीचड़ के कारण यह क्षेत्र आए दिन दुर्घटनाओं का केंद्र बन रहा है. ट्रकों, कंटेनरों और अन्य भारी वाहनों के बीच लोगों को संकरी और टूटी हुई सड़कों से गुजरना पड़ता है, जिससे जान का खतरा बना रहता है. उद्यमियों का कहना है कि सड़कों की बदहाली के कारण उन्हें परिवहन में भारी नुकसान उठाना पड़ता है, क्योंकि कई बार वाहन पलट जाते हैं.
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