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Exclusive: मुजफ्फरपुर में जल संकट का अलार्म, दशकों पुराने पंप के दम तोड़ने से हजारों परिवार बूंद-बूंद को तरसे

Exclusive: मुजफ्फरपुर में जल संकट का अलार्म बज चुका है. दशकों पुराने पंप के दम तोड़ने से हजारों परिवार बूंद-बूंद को तरसने लगे है.

Exclusive: देवेश कुमार/मुजफ्फरपुर शहरी क्षेत्र में जलापूर्ति व्यवस्था बदहाल हो गयी है. नगर निगम हर साल करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा तो करता है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. शहर के हजारों लोग आज भी पानी की एक-एक बूंद के लिए मोहताज हैं. इसका मुख्य कारण है दशकों पुराने जलापूर्ति पंप, जो अब जवाब देने लगे हैं. शहर में उच्च क्षमता के 25 जलापूर्ति पंप लगे हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश सिर्फ दिखावे के लिए रह गये हैं. नगर निगम की जलापूर्ति व्यवस्था आज भी दो से पांच दशक पुराने बोरिंग पर टिकी है. जिला स्कूल परिसर का जलापूर्ति पंप सबसे पुराना है, जो 1968 से काम कर रहा है. 50 एचपी के इस पंप से वार्ड संख्या 22, 23, 24, 25 और 34 में जलापूर्ति होती है. अब यह पंप भी चंदवारा स्थित पानी कल कैंपस की तरह जवाब देने की स्थिति में है. इससे बार-बार पानी के साथ बालू और मिट्टी की सप्लाई हो रही है.

इन वार्डों में बढ़ी पानी की समस्या

ठंड के मौसम में तो स्थिति ठीक रहती है. लेकिन, गर्मी में यह पंप पिछले कई सालों से बार-बार फेल कर जा रहा है. कलेक्ट्रेट परिसर स्थित जलापूर्ति पंप भी 50 एचपी का है, लेकिन यह 1989 से चल रहा है. लगभग 36 साल पुराने इस पंप से शहर के वार्ड संख्या 08, 11 और 20 में पानी पहुंचाया जाता है. सादपुरा और शुक्ला रोड पंप की हालत भी खस्ता है. सादपुरा पंप से वार्ड संख्या 31, 32 और 35, जबकि शुक्ला रोड पंप से वार्ड संख्या 38, 39, 40 और 42 में जलापूर्ति होती है. इन दोनों बोरिंग को नगर निगम ने क्रमशः 1993 और 1999 में कराया था. सिकंदरपुर पंप भी 1988 का है, जिससे वार्ड संख्या 13, 14 और 15 में पानी पहुंचता है.

बेहद खराब स्थिति में है बोरिंग और पंप हाउस

इन सभी बोरिंग और पंप हाउस की हालत बेहद खराब हो चुकी है. इस बार की भीषण गर्मी में भूजल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है, जिससे आशंका है कि इन सभी पुराने पंपों से जलापूर्ति ठप हो जायेगी. इससे नगर निगम के जलापूर्ति शाखा के कर्मचारी और अधिकारी चिंतित हैं. निगम को अभी से ही वैकल्पिक व्यवस्था की तलाश करनी होगी, ताकि शहरवासियों को आने वाले भीषण गर्मी के दिनों में पानी की किल्लत से बचाया जा सके. शहर के एक तिहाई से अधिक घरों में अभी भी पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है. लोग टैंकरों और निजी बोरिंग पर निर्भर हैं. नगर निगम को जल्द ही इस समस्या का समाधान करना होगा, वरना शहर में पानी का गंभीर संकट उत्पन्न हो सकता है.

ब्रह्मपुरा व बावन बीघा इलाके में बेहद खराब है स्थिति

शहर के ब्रह्मपुरा व बावन बीघा इलाके यानी पश्चिमी-उत्तरी एवं पूर्वी इलाके की स्थिति बेहद खराब है. ब्रह्मपुरा इलाके का दो उच्च क्षमता का जलापूर्ति पंप यानी बोरिंग फेल कर गया है. ठोस वैकल्पिक व्यवस्था के बदले नगर निगम दो पांच-पांच एचपी का सबमर्सिबल करा खानापूर्ति कर लिया है. ब्रह्मपुरा थाना परिसर का बोरिंग व जलमीनार कई साल से फेल है. इसके बदले भी आज तक कोई नयी व्यवस्था नहीं की गयी. इसी तरीके की समस्या शहर के पूर्वी इलाके यानी बावन बीघा व कन्हौली तरफ की है. ठोस व्यवस्था नहीं होने के कारण लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं. जबकि, शहरवासी बीते तीन सालों से पानी के बदले हर महीने यूजर चार्ज होल्डिंग टैक्स में जोड़ कर नगर निगम को भुगतान कर रहे हैं.

09 साल में ही फेल कर गया चंदवारा पानी कल कैंपस का बोरिंग

चंदवारा पानी कल कैंपस का जो बोरिंग फेल हुआ है. उसे नगर निगम वर्ष 2016 के मार्च में कराया था. लगभग 09 साल में ही यह बोरिंग फेल कर गया है. इस कारण वार्ड नंबर 16, 43, 44 व 45 में गंभीर पेयजल संकट हो गया है. नगर निगम अब नयी बोरिंग कराने में जुटा है. संभावना है कि पानी कल कैंपस में ही नयी बोरिंग निगम एक महीने के भीतर करायेगा. विभागीय स्तर पर ही बोरिंग कराने की प्रक्रिया पूर्ण होगी. जल्द ही सशक्त स्थायी समिति व निगम बोर्ड से इसके प्रस्ताव पारित कराये जा सकते हैं. ताकि, पेयजल संकट झेल रहे लोगों को राहत मिल सके.

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Radheshyam Kushwaha
Radheshyam Kushwaha
पत्रकारिता की क्षेत्र में 12 साल का अनुभव है. इस सफर की शुरुआत राज एक्सप्रेस न्यूज पेपर भोपाल से की. यहां से आगे बढ़ते हुए समय जगत, राजस्थान पत्रिका, हिंदुस्तान न्यूज पेपर के बाद वर्तमान में प्रभात खबर के डिजिटल विभाग में बिहार डेस्क पर कार्यरत है. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते है. धर्म, राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों को पढ़ते लिखते रहते है.

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