22.4 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

चंपारण यात्रा के लिये 10 अप्रैल को मुजफ्फरपुर आये थे महात्मा गांधी, कमिशन मॉर्सहेड ने गांधी से पूछा था हैसियत और चंपारण जाने का कारण

Exclusive: महात्मा गांधी का बिहार से पुराना नाता रहा. उन्होंने सत्याग्रह का पहला आंदोलन बिहार के चंपारण से ही शुरू किया था. जिसे रोकने के लिए अंग्रेजी हुकूमत ने पूरी जान लगा दी थी. ऐसी ही एक घटना मुजफ्फरपुर में हुई थी. चंपारण यात्रा के लिये 10 अप्रैल को महात्मा गांधी मुजफ्फरपुर आये थे. कमिशन मॉर्सहेड ने गांधी से हैसियत और चंपारण जाने का कारण पूछा था. आइए जानते है पूरी कहानी

विनय कुमार/ Exclusive: मुजफ्फरपुर. महात्मा गांधी ने अप्रैल 1917 में राजकुमार शुक्ल के आमत्रण पर बिहार में चंपारण के नील कृषकों की स्थिति का जायजा लेने पहु्ंचे थे. इसी क्रम में वह 10 अप्रैल की रात को मुजफ्फरपुर पहुंचे़. इसकी खबर खफिया विभाग को चार से 13 मार्च के दौरान लग चुकी थी. स्थानीय प्रशासन काफी संशकित और डरा हुआ था. वह इस प्रयास में था कि गांधी चंपारण नहीं आयें. इतिहासकार अशोक अंशुमान, गौतम चंद्रा और आफाक आजम ने संयुक्त रिसर्च पेपर में इसका उल्लेख किया है. जिसमें इस बात का जिक्र है कि मुजफ्फरपुर में आगमन के बाद 13 अप्रैल को तिरहुत कमिश्नर एल एफ मॉर्सहेड से गांधी की एक औपचारिक मुलाकात तल्ख़ माहौल में हुई.

गवर्नर-इन-कौंसिल ने कमिश्नर मॉसहेड को लगायी थी फटकार

गांधी ने चंपारण जाने के कारण पर कहा कि वह इस यात्रा को मानवीय मिशन के रूप में देख रहे है और उनका उद्देश्य रैयतों और नीलहों के संबंधों के बारे में जानकारी लेने तक ही सीमित है. उनका मकसद दंगा-फसाद या आंदोलन कराने का नहीं है़. तिरहुत कमिश्नर ने गांधी से मूलरूप में दो प्रश्न किये. पहला कि वह किस हैसियत से चंपारण जाने का इरादा रखते है और दूसरा कि क्या कोई अजनबी वहां की परिस्थितिओं को समझ सकता है. बैठक लगभग बेनतीजा और ठंडे माहौल में समाप्त हुई़, लेकिन गांधी ने उसी शाम एक पत्र के माध्यम से कमिश्नर को फिर यह आश्वासन दिया कि वह पूरी शांति से वहां अपना काम करंगे. हालांकि तिरहुत कमिश्नर मॉर्सहेड ने गांधी की बातों को नहीं स्वीकार किया और उसी दिन चंपारण के कलेक्टर को यह निर्देश दिया कि गांधी को वहां जाने से शांति व्यस्था भंग होने की संभावना है. उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा144 के तहत चंपारण से वापिस भेजने को मजबूर किया जाये. भारतीय अखबारों की साथ-साथ प्रांतीय सरकार ने भी इस आदेश को अनुचित करार दिया और कमिश्नर मॉर्सहेड को फटकार भी लगायी.

कमिश्नर पर असंवेदनाऔर अदूरदर्शिता का आरोप

20 अप्रैल 1917 को बिहार सरकार के तत्कालीन मुख्य सचिव ने ले़.गवर्नर-इन-कौंसिल की ओर से कमिश्नर को लिखे पत्र में बिंदुवार गलतियों को उजागर किया. कमिश्नर पर प्रथम आरोप यह था उन्होंने गांधी से उचित व्यवहार नहीं किया. गांधी द्वारा स्थानीय अधिकारिओं के सहयोग से शांतिपूर्ण तरीके से चंपारण की परिस्थितियों का जायजा लेना कोई बड़ी मांग नहीं थी. दूसरी बड़ी गलती थी गांधी के हैसियत के बारें में पूछना ओर तीसरी यह थी कि उन्होंने बेवजह गांधी को बिना कारण बताये मुजफ्फरपुर में रोके रखा. चौथी और सबसे बड़ी गलती यह थी कमिश्नर ने बिना प्रांतीय सरकार को सूचना दिए चंपारण के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को सेक्शन 144 का आदेश देना़. जबकि गांधी के खिलाफ कोई आरोप ओर साक्ष्य नहीं थे. इन आरोपों का जवाब देते हुए 20 अप्रैल 1917 को तिरहुत कमिश्नर एल ऍफ़ मॉर्सहेड ने यह स्वीकार किया कि उनकी अदूरदर्शिता से चंपारण में एक बड़ा आंदोलन खड़ा हो सकता था और उन्होंने गांधी को गलत समझा

Also Read: Exclusive: बिहार में डीमैट अकाउंट खोलने वाली महिला निवेशकों की संख्या में 730 फीसदी की बढ़ोतरी

Radheshyam Kushwaha
Radheshyam Kushwaha
पत्रकारिता की क्षेत्र में 12 साल का अनुभव है. इस सफर की शुरुआत राज एक्सप्रेस न्यूज पेपर भोपाल से की. यहां से आगे बढ़ते हुए समय जगत, राजस्थान पत्रिका, हिंदुस्तान न्यूज पेपर के बाद वर्तमान में प्रभात खबर के डिजिटल विभाग में बिहार डेस्क पर कार्यरत है. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते है. धर्म, राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों को पढ़ते लिखते रहते है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel