पताही के चौसीमा में चल रहे रामकथा का हुआ समापनदीपक – 36,37
उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुरपताही के चौसीमा में चल रहे रामकथा के अंतिम दिन अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि जिस तरह से बालक दुनिया के माेह-माया से दूर अपनी माता काे याद करता है और माता तुरंत पहुंच जाती है, उसी प्रकार एक भक्त काे अपने निष्काम व निर्मल मन से भगवान काे याद करने की जरुरत है. ऐसे में भगवान तुरंत भक्त के पास पहुंच जाएंगे. सभी यह कहते हैं कि भगवान कहा हैं, मगर यह नहीं जानते हैं कि भगवान मेरे, तेरे और हर जगह हैं. केवल उन्हें अपनी दृष्टि से देखने की जरूरत है.
जो कमाया उसपर समाज का भी हक
कथा व्यास ने कहा कि हम जाे मेहनत से धन अर्जित कर रहे हैं, उसमें केवल आपका हक भर नहीं है. उसमें समाज का भी हक शामिल है. समाज में जाे जरूरतमंद लाेग हैं, उन्हें सहयाेग प्रदान कर मुख्यधारा से जाेड़ने की जरूरत है. उन्हाेंने कहा कि हे भगवान हम पापी हैं, अगर हम पापी नहीं हाेते ताे आप पावन किसकाे करते, इसलिए भगवान काे चढ़ाना है ताे अपने आप काे समर्पित करें. भगवान को शारीरिक पूजा से अच्छा है मानसिक पूजा करना. भगवान भाव के भूखे हैं, इसलिए उन्हें अपने पवित्र मन से पूजा करें. कथा के दाैरान संगीतमय भजनाें की प्रस्तुति में श्रद्धालु आनंदित हाेते रहे. मौके पर मुख्य रूप से मुजफ्फरपुर सेवा संस्थान के अध्यक्ष मृत्युंजय सिंह मौजूद रहे.
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