मुजफ्फरपुर. एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस), जिसे चमकी बुखार भी कहा जाता है, से पीड़ित होकर स्वस्थ हुए बच्चों की जानकारी अब स्वास्थ्य मुख्यालय द्वारा ली जा रही है. मुख्यालय यह भी जानकारी जुटा रहा है कि स्वस्थ हुए बच्चों की वर्तमान स्थिति कैसी है. इसके साथ ही, यह निगरानी भी की जा रही है कि कहीं ये बच्चे दोबारा चमकी बुखार की चपेट में तो नहीं आ रहे हैं. इस संबंध में राज्य के 12 जिलों के सिविल सर्जन को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं. सिविल सर्जन डॉ. अजय कुमार ने बताया कि मुख्यालय के निर्देश के बाद सभी पीएचसी प्रभारियों को अपने-अपने क्षेत्र में एईएस से स्वस्थ हुए बच्चों की निगरानी करने का निर्देश दिया गया है. उन्हें बच्चों में हो रहे बदलावों पर विशेष ध्यान देने और किसी भी असामान्य लक्षण दिखने पर तुरंत पीकू (पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट) में भर्ती कराने के लिए कहा गया है. सीएस ने बताया कि अभी तक एईएस से स्वस्थ हुए किसी भी बच्चे में कोई नकारात्मक बदलाव या विकलांगता का लक्षण नहीं देखा गया है. यहां यह उल्लेखनीय है कि सरकारी और निजी अस्पतालों में तेज बुखार से पीड़ित होकर भर्ती हो रहे बच्चों में चमकी बुखार के लक्षण पाए जा रहे हैं, जिससे परिजनों में एईएस का भय बना हुआ है. हालांकि, इलाज के बाद बच्चे स्वस्थ हो रहे हैं. सदर अस्पताल और एसकेएमसीएच (श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल) के शिशु वार्ड में भर्ती बुखार पीड़ित बच्चों में भी चमकी बुखार की पुष्टि हुई है. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. गोपाल शंकर साहनी ने बताया कि एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम को ही चमकी बुखार कहा जाता है. इस बीमारी में ग्रस्त बच्चे का शरीर अचानक सख्त हो जाता है और मस्तिष्क तथा शरीर में ऐंठन शुरू हो जाती है. एक से 15 वर्ष तक के बच्चे इस बीमारी से अधिक प्रभावित होते हैं. कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यूनिटी) इसका एक प्रमुख कारण हो सकता है. अत्यधिक गर्मी और नमी के मौसम में इस बीमारी की तीव्रता काफी बढ़ जाती है. चमकी बुखार से पीड़ित बच्चे को लगातार तेज बुखार रहता है.
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