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कर्बला की घटना के बाद शरीयत से छेड़छाड़ करने की हिम्मत नहीं हुई

I did not dare to tamper with

पहली मुहर्रम को मुकर्री के इमामबाड़ा में हुई मजलिस उपमुख्य संवाददाता, मुज़फ्फरपुर. मुहर्रम के पहले दिन शहर के विभिन्न इमामबाड़ों और घ्ररों में मजलिस हुई. मुकर्री के इमामबाड़ा में मजलिस को बयान फरमाते हुये धनबाद से आये मौलाना जैगम अब्बास ने कहा कि इमाम हुसैन ने सन 60 हिजरी म यजीद जैसे शासक की बैअत को ठुकरा दिया और मदीना के गवर्नर के सामने यह कह कर कि मुझ जैसा यजीद जैसे की बैअत नहीं कर सकता. इमाम हुसैन ने स्पष्ट कर दिया कि जो इलाही नुमाइंदा होता है, वह न तो दौलत की ताकत से प्रभावित होता है और न ही सत्ता की ताकत उसको डिगा सकती है. इमाम हुसैन ने बैअत से इनकार कर चरित्रवान और चरित्रहीन के अंतर को स्पष्ट कर दिया. उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन ने खलीफा के प्रस्ताव का इंकार किया और मदीना की पवित्रता बचाने के लिए अपने अहले हरम के साथ सफर पर निकल पड़े. 28 रजब सन 60 हिजरी को निकला यह काफिला मुहर्रम की दो तारीख को कर्बला के मैदान में पहुंचा, जहां इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों ने जान की क़ुर्बानी पेश की. मौलाना ने कहा कि कर्बला की घटना का यह असर हुआ कि उसके बाद से किसी शासक में किसी इमाम से स्वीकृति मांगने की हिम्मत नहीं हुई और इस घटना ने शरीयत की मुकम्मल रक्षा की की. इसके बाद शरीयत में छेड़ छाड़ करने की किसी में हिम्मत नहीं हुई. इस मौके पर मिर्जा नजफ अली, शाने हैदर, इस्माइल हुसैन,अब्बास हुसैन, यावर हुसैन, कमर अब्बास, फिरोज अहमद मौजूद थे.

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Vinay Kumar
Vinay Kumar
I am working as a deputy chief reporter at Prabhat Khabar muzaffarpur. My writing focuses on political, social, and current topics.

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