एपीडा से लाइसेंस नहीं मिलने के कारण एजेंसी पर रहना पड़ेगा निर्भर उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर इस बार किसानों को उम्मीद थी कि लीची का निर्यात वह खुद कर पायेंगे, लेकिन एपीडा यानी कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण से लाइसेंस नहीं मिलने के कारण किसान बाग नंबर से लीची विदेश नहीं भेज पायेंगे. उन्हें निर्यात के लिये एजेंसी पर ही निर्भर रहना पड़ेगा. इस बार लीची के व्यवसाय के लिये जिले के दस किसानों ने एपीडा से लाइसेंस के लिये आवेदन दिया था, लेकिन तकनीकी प्रक्रिया में चूक रह जाने के कारण किसानों को लाइसेंस नहीं मिला. किसानों को एपीडा से लाइसेंस मिलता तो सभी किसानों को बाग नंबर मिलता और उसी बाग नंबर के आधार पर किसान सीधे लीची का निर्यात कर पाते. किसान बबलू शाही ने कहा कि पिछली बार हमलोगों ने एजेंसी के माध्यम से लीची खाड़ी देशों के अलावा यूरोप में भेजी थी. हमलोगों ने इस बार एपीडा से लाइसेंस के लिये प्रयास किया था, इसके लिये उद्यान विभाग में आवेदन भी जमा किया था, लेकिन हमलोगों को लाइसेंस नहीं मिल पाया. पिछली बार यहां से लुलू मॉल के अलावा लखनऊ की एजेंसी ने यहां के कई किसानों से लीची खरीद कर विदेश निर्यात किया था. इस बार किसानों को उम्मीद थी कि उन्हें लाइसेंस मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पिछले साल 65 टन लीची का हुआ था निर्यात पिछले साल जिले से 65 टन लीची का निर्यात किया गया था. विभिन्न एजेंसी ने यहां से लीची की आपूर्ति दूसरे देशों में की थी. इस बार लीची निर्यात का लक्ष्य अधिक रखा गया है. कई एजेंसी लीची किसानों के बाग का निरीक्षण कर रही है. मई में लीची टूटने के साथ यहां से एसी वाहन से लखनऊ भेजी जायेगी. वहां से हवाई जहाज से लीची बहरीन, दुबई ओर यूरोप के देशों में भेजी जायेगी. लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह ने कहा कि इस बार शाही लीची की फसल अच्छी होने की उम्मीद है. फसल बेहतर होगी तो निर्यात भी ज्यादा होगी
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