-जीएसटी व आयकर रिटर्न भरने में व्यवसायी कर रहे उपयोग
Muzaffarpur News
अब एआइ का उपयोग रिटर्न भरने में भी किया जा रहा है. जिले के कई कारोबारी एआइ की मदद से जीएसटी भर रहे हैं. एआइ आधारित सॉफ्टवेयर और एप से व्यवसायी इनवॉयस मिलान व त्रुटि पहचान कर जीएसटी का रिटर्न भरते हैं. यह एआइ खरीद-बिक्री व बैंक स्टेटमेंट्स को खुद प्रोसेस करता है. किसी तरह की विसंगति हो जाने पर तुरंत अलर्ट भी कर देता है. इसके जरिये फॉर्म ऑटो-फिल होता है और जरूरी दस्तावेज की जांच कर समय पर फाइलिंग के लिए रिमाइंडर भी भेजता है. ट्रांजेक्शन डेटा का विश्लेषण कर टैक्स देनदारी का पूर्वानुमान लगाता है, जिससे करदाता समय रहते सुधार कर सकते हैं. चैटबॉट और वर्चुअल असिस्टेंट करदाताओं के सवालों का जवाब देते हैं और उन्हें रिटर्न फाइलिंग प्रक्रिया में मार्गदर्शन करते हैं.समय की बचत व गलतियां नहीं होती
आयकर के रिटर्न के लिए भी एआइ एप प्रभावी हो रहा है. डेटा ऑटोमेशन व ऑटो फिलिंग के एप बैंक स्टेटमेंट्स व सेलरी स्लिप का डेटा लेकर ऑटोमैटिक आइटीआर फॉर्म भर देता है. यह समय बचाता है और मैनुअल एंट्री से होने वाली गलतियों को कम करता है. एआइ यह जांचता है कि आपने कोई जरूरी जानकारी छोड़ तो नहीं दी है. अगर कोई डिडक्शन छूट गया तो सुझाव भी देता है. यह एप आमदनी, खर्च, निवेश व टैक्सेबल इनकम के आधार पर यह अनुमान लगाता है कि आपको कितना टैक्स देना पड़ेगा. शहर में कई नौकरी पेशा वाले लोग इस एप के उपयोग से रिटर्न के विकल्पों को समझते हैं और एआइ की गणना के लिहाज से टैक्स अदा कर रहे हैं. कई टैक्स प्रोफेशनल भी अब मैनुअल गणना की जगह एआइ एप का उपयोग कर रहे हैं. इससे उनके समय की बचत हो रही है.टैक्स प्रोफेशनल के लिए समस्या
कुछ कारोबारी रिटर्न भरने में एआइ एप का उपयोग कर रहे हैं. टैक्स प्राेफेशनल भी रिटर्न भरने में इसका फायदा लेते हैं, लेकिन जिस तरह से एआइ इस क्षेत्र में प्रभावी हो रहा है, उससे आने वाले समय में टैक्स प्रोफेशनल के लिए समस्या हो सकती है. – प्रदीप कुमार वर्मा, अध्यक्ष, टैक्सेशन बार एसोसिएशनडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है