बागों का हुआ चयन, लखनऊ की एजेंसी करेगी निर्यात उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर लीची की फसल अब टूटने वाली है. किसान एक बारिश का और इंतजार कर रहे हैं, जिससे लीची में लाली आ जाये. हालांकि 15 मई से लीची की तुड़ाई शुरू हो जायेगी. 17 मई के बाद से विदेशों में निर्यात शुरू हो जायेगा. इस बार भी लुलु मॉल में यहां से लीची की आपूर्ति की जा रही है. पहली खेप में करीब दस टन लीची भेजी जायेगी. लखनऊ की एजेंसी यहां से लीची की आपूर्ति कर रही है. इसके लिये बागों का चयन हो चुका है. एक महीने पहले एजेंसी के प्रतिनिधि यहां के बागों का मुआयना कर चुके हैं. लुलु मॉल में लीची की मांग पिछले साल अधिक हुई थी, लेकिन लंबे समय तक लीची को सुरक्षित नहीं रखे जाने के कारण किसान यहां से मांग के हिसाब से आपूर्ति नहीं कर पाये थे. इस बार भी यहां से दो तीन खेप लीची जायेगी. मुजफ्फरपुर की लीची का स्वाद वहां के लोगों को पसंद आ रहा है, इस कारण डिमांड बढ़ी है. मुशहरी के किसान धीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि इस बार शाही लीची की पैदावार अच्छी है. बाहर के खरीदार बाग देखने पहुंच रहे हैं. करीब एक महीने तक यहां से लीची का कारोबार होगा 2023 से लुलु मॉल भेजी जा रही लीची वर्ष 2023 में पहली बार मुजफ्फरपुर की शाही लीची संयुक्त अरब अमीरात भेजी गयी थी. लुलु मॉल के प्रतिनिधियों ने बिहार लीची उत्पादक संघ से संपर्क किया था. ट्रायल के तौर पर एक टन शाही लीची शारजाह भेजी गयी थी. यहां की लीची वहां काफी पसंद की गयी. इसके बाद वर्ष 2024 में यहां से दस टन लीची लुलु मॉल गयी थी. इस बार अधिक लीची भेजे जाने की उम्मीद है. पहली खेप के बाद से लीची की डिमांड की जानकारी मिलेगी. लीची सुरक्षित रहे तो बढ़ेगा निर्यात बिहार लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह ने कहा कि लीची को लंबे समय तक सुरक्षित रखने की तकनीक नहीं है. तीन चार दिनों बाद लीची खराब होने लगती है. पिछले साल से ही लीची को सुरक्षित रखने के तकनीक पर चर्चा हो रही है, लेकिन अभी तक इसका समाधान नहीं निकला है. चीन से शारजाह निर्यात किया गया लीची अधिक समय तक सुरक्षित रहता है, लेकिन यहां की लीची लंबे समय तक सुरक्षित नहीं रह पाती. कृषि वैज्ञानिक इस पर रिसर्च कर रहे हैं. लीची को अधिक दिनों तक सुरक्षित रखने का उपाय हो तो निर्यात बढ़ेगा.
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