::: पहले से स्वीकृत 147 पदों को किया गया खत्म, अब कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद नये सिरे से सृजित पदों पर होगी बहाली
::: नगर निगम कार्यालय में ही अभी चल रहा है मुजफ्फरपुर आयोजना क्षेत्र का कार्यालय, इसी साल नया ऑफिस खोलने की होगी कार्रवाई
वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर
बिहार सरकार ने राज्य में शहरी नियोजन और विकास को गति देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. नगर विकास एवं आवास विभाग ने बिहार शहरी आयोजना तथा विकास नियमावली, 2014 के प्रावधानों के तहत मुजफ्फरपुर सहित सात मौजूदा आयोजना क्षेत्र प्राधिकारों में पहले से स्वीकृत 147 पदों को समाप्त करते हुए अब राज्य के प्रत्येक जिले में एक जिला आयोजना क्षेत्र प्राधिकार कार्यालय स्थापित करने को मंज़ूरी दे दी है. इस पहल से कुल 38 कार्यालयों का गठन होगा और उनके सुचारु संचालन के लिए विभिन्न श्रेणियों के कुल 1350 नये पदों का सृजन किया जायेगा, जिस पर अनुमानित वार्षिक लागत 112 करोड़ रुपये आयेगा. जिसकी मंजूरी बीते कैबिनेट से होने के बाद इसका संकल्प सरकार की तरफ से जारी कर दिया गया है. वर्तमान में पटना महानगर क्षेत्र प्राधिकार के लिए 76 पद स्वीकृत हैं और बोधगया, गया, बिहारशरीफ, राजगीर, आरा, मुजफ्फरपुर और सहरसा सहित सात आयोजना क्षेत्र प्राधिकारों के लिए 147 पद (प्रत्येक के लिए 21 पद) स्वीकृत थे. हालांकि, मुंगेर, बेगूसराय, पूर्णिया, छपरा, दरभंगा, बक्सर, किशनगंज, कटिहार, सासाराम, डेहरी, मोतिहारी, औरंगाबाद, हाजीपुर, जमुई, सिवान, बेतिया, बगहा, लखीसराय, खगड़िया, अररिया, फारबिसगंज, सीतामढ़ी, भभुआ, मधुबनी, शिवहर, अरवल, सुपौल, सोनपुर, शेखपुरा, बांका, गोपालगंज, जहानाबाद, मधेपुरा, नवादा और भागलपुर सहित शेष 35 आयोजना क्षेत्र प्राधिकारों में पदों का सृजन नहीं किया गया था. भविष्य में केंद्र सरकार की अमृत 2.0 योजना के तहत पांच लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के लिए मास्टर प्लान तैयार करने का लक्ष्य है, जिससे लगभग 60 से अधिक नये आयोजना क्षेत्र प्राधिकारों के गठन की संभावना है, जिससे कुल संख्या 100 से अधिक हो जायेगी. इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, प्रत्येक जिले में एक जिला आयोजना क्षेत्र प्राधिकार कार्यालय का गठन अधिक व्यावहारिक माना गया है, जहां संबंधित जिले के सभी आयोजना क्षेत्रों के कार्य किये जायेंगे.
बॉक्स ::: निगम से सटे ग्रामीण इलाके को शहरीकरण की देना है सुविधा
बिहार शहरी आयोजना तथा विकास अधिनियम, 2012 का उद्देश्य राज्य के शहरी और शहरीकरण की क्षमता वाले ग्रामीण क्षेत्रों के योजनाबद्ध विकास, भूमि उपयोग के विनियमन और संवर्धन को सुनिश्चित करना है. इस अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए 2014 में नियमावली अधिसूचित की गयी, जो आयोजना क्षेत्र प्राधिकारों के गठन का प्रावधान करती है. इन प्राधिकारों के मुख्य कार्यों में विकास योजनाओं और क्षेत्र विकास स्कीमों को तैयार करना, सर्वेक्षण कार्य करना, विकास गतिविधियों पर नियंत्रण रखना और आवश्यक संविदाएं तथा आधारभूत संरचना कार्यों का निष्पादन करना शामिल है.
986 नये पदों का हुआ है सृजन
नए ढांचे के तहत सात आयोजना क्षेत्र प्राधिकारों (बोधगया, गया, राजगीर, बिहारशरीफ, आरा, मुजफ्फरपुर और सहरसा) के मौजूदा 147 पदों को समाप्त कर दिया गया है. अब नौ प्रमंडलीय शहरों में स्थित जिला आयोजना क्षेत्र प्राधिकार कार्यालयों में 39 विभिन्न प्रकार के कुल 351 पद सृजित किये गये हैं, जिसमें मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, सचिव, भू-संपदा पदाधिकारी, निगरानी/विधि पदाधिकारी, वरीय लेखा पदाधिकारी, वास्तुविद्, नगर निवेशक और अभियंता सहित अन्य पद शामिल हैं. इसके अतिरिक्त, 29 अन्य जिला आयोजना क्षेत्र प्राधिकार कार्यालयों में 34 विभिन्न प्रकार के कुल 986 पद सृजित किये गये हैं.
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