Shahid Jubba Sahani: भागलपुर सेंट्रल जेल में ‘वालर को मैंने मारा’ की सिंह गर्जना कर फांसी के फंदे को चुमने वाले मुजफ्फरपुर के मीनापुर प्रखंड के चैनपुर गांव के अमर शहीद जुब्बा सहनी का आज यानी मंगलवार को शहादत दिवस है. उनके शहादत दिवस समारोह के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में आज कई दिग्गज लोगों के पहुंचने की संभावना है. फिर से बड़ी घोषणाएं की जा सकती हैं. दूसरी तरफ अमर शहीद जुब्बा सहनी का गांव आज भी विकास की राह देख रहा है. अंग्रेजों की ताबड़तोड़ गोलियों से चैनपुर गांव के रणबांकुर वांगुर सहनी शहीद हो गये थे. इसी प्रतिशोध में जुब्बा सहनी ने अंग्रेज थानेदार लुइस वालर की चिता मीनापुर थाना परिसर में ही सजा दी थी. लुईस वालर को मीनापुर थाने में जिंदा जला दिया गया. इसके बाद यूनियन जैक को उतार कर तिरंगा फहराया गया.
“वालर को मैंने मारा”
11 मार्च 1944 को भागलपुर सेंट्रल जेल में “वालर को मैंने मारा” कहने वाले मीनापुर के जुब्बा सहनी हर किसी की जुबान पर हैं. मामले की सुनवाई कर रही एएन बनर्जी की अदालत में जुब्बा ने अंग्रेज थानेदार लुइस वालर को जिंदा जलाने का सारा इल्जाम अपने उपर लेकर 54 साथियों को फांसी के फंदे से बचा लिया था. खुद फांसी के फंदे को कबूल किया. सन् 1906 में चैनपुर के पांचू सहनी के घर में पैदा लेने वाले जुब्बा का गांव आज भी बदहाल है. गांव में आज भी एक सरकारी हिंदी स्कूल नहीं है. ग्रामीण राजकुमार सहनी बताते हैं कि अमर शहीद के गांव के बच्चे दूसरे गांवों में पढ़ने जाते हैं. हालांकि, स्कूल के लिए राज्यपाल के नाम जमीन दान में दी जा चुकी है.
चैनपुर को राजस्व ग्राम का दर्जा नहीं
ग्रामीण हामिद रेजा टुन्ना ने कहा कि चैनपुर को राजस्व ग्राम का दर्जा प्राप्त नहीं है. आदर्श गांव की परिकल्पना कागज में दम तोड़ रही है. गांव में स्वास्थ्य उपकेंद्र भी नहीं है. ग्रामीणों की मानें तो उर्दू स्कूल में जाने के लिए सरकारी रास्ता भी नहीं है. शहादत दिवस समारोह की तैयारी में जोर शोर से जुटे पूर्व मुखिया अजय सहनी ने कहा कि चैनपुर को मीनापुर थाना से अलग कर प्रशासन ने शहीद के गांव के साथ क्रूर मजाक किया है. उन्होंने कहा कि संसद में जुब्बा सहनी का तैलचित्र लगे. चैनपुर गांव में जुब्बा सहनी के नाम पर स्मृति भवन बनें. चैनपुर का नाम जुब्बा सहनी ग्राम घोषित हो. वही कई मचों पर सम्मानित हो चुके सहनी के परिवार का बुरा हाल है. पिता बिकाउ सहनी सालों पहले आर्थिक तंगी से आत्महत्या कर चुके हैं. चुनाव के वक्त उनके नाम पर बड़े बड़े वायदे होते हैं. चैनपुर को हुसैनीवाला की तर्ज पर विकसित करने की बात होती है. लेकिन, आज भी चैनपुर गांव पर्यटक स्थल बनने के लिए टकटकी लगाये हुए है. साल 2003 में तत्कालीन डीएम अमृतलाल मीणा ने गांव को राजस्व गांव बनाने की घोषणा की थी. लेकिन, अब भी वह घोषणा फॉइलों में धूल फांक रही है.