24.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

अब होम लोन के लिए चाहिए दशकों पुराना ”लिंक डीड”

Now decades old 'link deed' is required for home loan

फ्रॉड से बचाव पर भारी ग्राहकों की जेब

::: होम व प्रॉपर्टी लोन की बढ़ रही है संख्या, एक साल में 10 हजार से अधिक नॉन-एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट के लिए रजिस्ट्री ऑफिस में आवेदन

::: 1980 से पहले के दस्तावेज की खोजबीन व मिलान करना हो रहा मुश्किल, नहीं मिलने पर परेशानी

वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर

पर्सनल लोन की तुलना में होम और प्रॉपर्टी लोन पर ब्याज दरें कम होने के कारण ग्राहकों का रुझान इन लोनों की ओर बढ़ा है. बैंकों के लिए भी ये लोन सुरक्षित माने जाते हैं, जिससे बैंक इन्हें आसानी से स्वीकृत करते रहे हैं. हालांकि, धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के बाद अब बैंकों ने होम और प्रॉपर्टी लोन स्वीकृत करने से पहले कई ऐसे दस्तावेजों की मांग करनी शुरू कर दी है, जिन्हें उपलब्ध कराना प्रॉपर्टी के मालिक के लिए एक चुनौती बन गया है. अब होम लोन देने से पहले गिरवी रखी जाने वाली जमीन के दस्तावेजों के लिंक डीड की तलाश कर रहे हैं. यह लिंक डीड रजिस्ट्री ऑफिस के रिकॉर्ड रूम से प्राप्त होता है. बैंक न्यूनतम 28-33 साल पुराने लिंक डीड की सर्टिफाइड कॉपी मिलने के बाद ही होम और प्रॉपर्टी लोन स्वीकृत करते हैं. इसके लिए लोन लेने वालों को सरकारी शुल्क के अलावा पुराने दस्तावेजों की तलाश कराने के लिए अच्छी-खासी रकम खर्च करनी पड़ रही है, साथ ही दस्तावेज मिलने तक मानसिक तनाव से भी जूझना पड़ता है. हालांकि, रजिस्ट्री ऑफिस से जुड़े कर्मचारियों का कहना है कि 1980 के बाद के लिंक डीड आसानी से मिल जाते हैं. 100 दस्तावेजों की तलाश करने पर केवल 20-25 प्रतिशत ही नष्ट होने या अन्य कारणों से नहीं मिल पाते हैं.

समझें क्या है ”लिंक डीड”

लिंक डीड यह दर्शाता है कि गिरवी रखी जाने वाली ज़मीन पर 28-33 साल पहले किसका मालिकाना हक था. इसमें उस समय के दस्तावेज़ में अंकित खाता-खेसरा और रकबा, गिरवी रखे जाने वाले जमीन के रजिस्ट्री डीड से मेल खाता है या नहीं, इसकी जांच होती है. इसके अलावा, इन 28-33 सालों के बीच कितने लोगों ने उस जमीन की खरीद-बिक्री की है, इन सभी बिंदुओं की जांच के लिए बैंक रजिस्ट्री ऑफिस से लिंक डीड की सर्टिफाइड कॉपी निकलवाते हैं. इसके लिए बैंक ग्राहक से मोटी फीस लेकर अपने लीगल एडवाइजर को देते हैं.

नॉन-एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट सिर्फ खानापूर्ति

लिंक डीड मिलने के बाद बैंक अपने लीगल एडवाइजर के माध्यम से संबंधित क्षेत्र के रजिस्ट्री ऑफिस से नॉन-एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट लेते हैं. इससे यह पता लगाया जाता है कि जिस जमीन पर होम व प्रॉपर्टी लोन स्वीकृत करने की प्रक्रिया चल रही है, उस पर पहले से कोई लोन स्वीकृत है या नहीं. हालांकि, रजिस्ट्री ऑफिस के पास इसका कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है जिससे वे बता सकें कि नॉन-एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट जारी होने वाली जमीन पर कोई लोन है. यही कारण है कि रजिस्ट्री ऑफिस से जारी होने वाले सर्टिफिकेट पर स्पष्ट शब्दों में लिखा होता है कि आवेदक ने खुद जानकारी जुटाई है. अगर भविष्य में किसी तरह की कोई गड़बड़ी होती है, तो इसके लिए रजिस्ट्री ऑफिस की बजाय आवेदक और बैंक खुद जिम्मेदार माने जायेंगे.

कोट :::

नॉन-एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट में रजिस्ट्री ऑफिस से सिर्फ खाता, खेसरा उक्त व्यक्ति के नाम रजिस्ट्री के दस्तावेज में है या नहीं, इसे ही मिलाया जाता है. बाकी, किसी भी तरह की गड़बड़ी होने के लिए रजिस्ट्री ऑफिस जिम्मेदार नहीं होगा. यह सर्टिफिकेट पर ही टिप्पणी में चार अलग-अलग पॉइंट्स में अंकित है.

मनीष कुमार, जिला अवर निबंधक, मुजफ्फरपुर B

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Devesh Kumar
Devesh Kumar
I am working as a senior reporter at Prabhat Khabar muzaffarpur. My writing focuses on nagar nigam political, social, and current topics.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel