कौन सी दवाएं दी गयीं, पर्ची पर लिखना होगा वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर जिले में अगर कोई बच्चा एइएस (चमकी बुखार) से पीड़ित होकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में भर्ती होता है, तो उसे प्रारंभिक इलाज क्या दिया गया, इसका पूरा ब्यौरा पीएचसी को देना होगा. इतना ही नहीं, यदि बच्चे को बेहतर इलाज के लिए एसकेएमसीएच (श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल) रेफर किया जाता है, तो रेफर पेपर पर भी चिकित्सक को स्पष्ट रूप से लिखना होगा कि बच्चे को प्रारंभिक इलाज में कौन-कौन सी दवाएं दी गयीं. इसके साथ ही, रेफर पेपर पर बच्चे में प्रारंभिक लक्षण क्या थे, भर्ती के समय उसका शुगर लेवल (बीएसटी) कितना था और क्या बच्चा पहले भी एइएस से पीड़ित हुआ था या नहीं, जैसी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां भी अंकित करनी होंगी. सिविल सर्जन (सीएस) ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि यदि बिना पूरी जानकारी भरे रेफर किया जाता है, तो संबंधित चिकित्सक से जवाब तलब किया जायेगा. इधर, एसकेएमसीएच के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. गोपाल शंकर साहनी ने बताया कि पीएचसी से रेफर होकर आने वाले बच्चों के बीएसटी (ब्लड शुगर टेस्ट) पर अक्सर कुछ भी लिखा नहीं होता है. ऐसी स्थिति में प्रारंभिक इलाज के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाती है, जिससे आगे के इलाज में परेशानी होती है. सिविल सर्जन डॉ. अजय कुमार ने इस संबंध में कहा कि जिले के हर पीएचसी प्रभारी को एइएस पीड़ित बच्चों के भर्ती होने पर तत्काल प्रारंभिक इलाज सुनिश्चित करना है. उन्होंने बताया कि इसके लिए पीएचसी में दवाओं से लेकर सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं. प्रत्येक पीएचसी में दो बेड का पीकू (पेडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट) वार्ड बनाया गया है और चिकित्सकों की रोस्टर के अनुसार ड्यूटी भी लगाई गयी है.
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