– केंद्रीय पुस्तकालय में हुई संगोष्ठी, उभरे विचार
मुजफ्फरपुर.
यूनेस्को ने माना है कि ऋग्वेद दुनिया का सबसे पुराना यानी दस हजार वर्ष पुराना ग्रंथ है, जो हजारों वर्षों से एक दूसरे को सुना-सुना कर संरक्षित रखा गया है. पुस्तक हमारे धर्म का कानून है, जिसे मां सरस्वती का साक्षात रूप कहा जाता है. किताबों का स्थान कभी भी ऑनलाइन या डिजिटल प्लेटफॉर्म नहीं ले सकता है.ऐसे में हमारे देश के युवाओं को मोबाइल या ऑनलाइन उपकरण को बगल में रखकर पुस्तकों के अध्ययन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये. यह बातें विवि में स्थित केंद्रीय पुस्तकालय में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में मुख्य अतिथि अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, नयी दिल्ली के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ बालमुकुंद पांडेय ने कहीं. बीआरएबीयू के कुलपति सह राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य संरक्षक प्रो दिनेश चंद्र राय ने कहा, हमलोग अपने हिसाब से विवि केन्द्रीय पुस्तकालय एवं स्नातकोत्तर विभागों के पुस्तकालय का विकास करने का प्रयास किये हैं. तीन दिनों के राष्ट्रीय संगोष्ठी में हमारे विश्वविद्यालय पुस्तकालय का जो भी सुझाव होगा, उसे पूरा करेंगे. बीएन मंडल विवि, मधेपुरा के प्रभारी पुस्तकालय अध्यक्ष ने राष्ट्रीय संगोष्ठी उद्घाटन सत्र के प्रारंभ में भारत माता, मां सरस्वती एवं भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक डॉ एसआर रंगनाथन के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की. कार्यक्रम के प्रारंभ में विवि की छात्रा लूसी के नेतृत्व में कुलगीत की प्रस्तुति की गयी. इस दौरान नगर निगम की उप मेयर डॉ मोनालिसा, सूचना विज्ञान विभाग के निर्देशक डॉ केके चौधरी सहित कई विद्वान उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है