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मुजफ्फरपुर की लीची का स्वाद चखेंगे दक्षिण अफ्रीका और नीदरलैंड के लोग, 250 टन की आई डिमांड

नीदरलैंड की कंपनी सुपर प्लम मुजफ्फरपुर से 250 टन लीची की खरीदारी खरीदारी करेगी. इसके लिए मई के दूसरे सप्ताह में कूलिंग उपकरण और 300 एसी वैन के साथ कंपनी के प्रतिनिधि मुजफ्फरपुर पहुंचेंगे. लीची तोड़ने के लिए बागों को कूल किया जाएगा. पांच से दस डिग्री तापमान पर तोड़ी जायेगी लीची

मुजफ्फरपुर की लीची का स्वाद इस बार दक्षिण अफ्रीका और नीदरलैंड के लाेग भी लेंगे. नीदरलैंड की फ्रेंचाइजी कंपनी सुपर प्लम ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. कंपनी ने यहां के लीची उत्पादकों से 250 टन लीची की डिमांड की है. इसके लिये बंदरा के लीची बगान का चयन किया गया है. कंपनी के प्रतिनिधि मई के दूसरे सप्ताह में यहां पहुंचेगें. लीची तोड़ने से पहले बागो को कूलिंग की जायेगी. इसके बाद लीची का तुड़ाव होगा. 

पांच से दस डिग्री तापमान पर तोड़ी जायेगी लीची

कंपनी के प्रतिनिधि कूलिंग उपकरण और 300 एसी वैन के साथ मुजफ्फरपुर पहुंचेंगे. लीची तोड़ने से पहले बागों का तापमान 30-40 डिग्री से घटा कर पांच से दस डिग्री किया जायेगा. इसके बाद तुड़ाव कर लीची को एसी वैन पर लोड करेगा. लीची को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिये बागों की कूलिंग प्रक्रिया अपनायी जायेगी. कंपनी ने पिछले साल यहां के लीची का सैंपल लिया था, जो विदेशों में काफी पसंद किया गया. कंपनी प्रतिनिधियों के साथ पहुंचे कृषि वैज्ञानिकों ने यहां लीची के पल्प के फ्लेवर की जांच की थी.

लुलु मॉल की खरीद से बढ़ गयी लीची की डिमांड

पिछले साल लुलु मॉल की ओर से लीची की खरीद के बाद विदेशों में सप्लाई करने के लिये मुजफ्फरपुर की लीची की डिमांड बढ़ गयी है. अब कई कंपनियां यहां की लीची को दूसरे देशों में निर्यात करने लगी है. पिछले साल का प्रयोग सफल होने के बाद इन कंपनियों ने लीची की डिमांड बढ़ा दी है. लीची उत्पादक उतनी लीची आपूर्ति में सक्षम नहीं हो रहे हैं. 

सुपर प्लम के प्रतिनिधि जिले के कई लीची उत्पादकों के संपर्क में हैं. वे 15 मई के बाद मुजफ्फरपुर पहुंचेंगे और यहां 20-22 दिन रह कर रोज एसी वैन के जरिये लीची दिल्ली भेजेंगे. वहां से हवाई मार्ग से लीची दूसरे देशों में जायेगी. लीची उत्पादकों का कहना है कि पिछले साल से यहां की लीची की डिमांड बढ़ गयी है. जितनी मांग है, उतनी आपूर्ति हम लोग नहीं कर पा रहे हैं. लीची उत्पादक संघ के प्रदेश अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह कहते हैं कि यहां की लीची दूसरे देशों में पसंद की जा रही है. यह गौरव की बात है.

लीची बाग देखने पहुंचे थे इजरायल के वैज्ञानिक

मुजफ्फरपुर का लीची बाग देखने के लिये पिछले सुपर प्लम पिछले साल इजरायल के वैज्ञानिकों को लेकर आया था. वैज्ञानिकों ने बंदरा, मीनापुर, कांटी और मुशहरी के लीची बागों को देखा था. इजरायल लीची विशेषज्ञ क्लिफ की टोली में डॉ अरविंद कुमार, बसंत झा और सिद्धार्थ शामिल थे. उन्होंने किसानों को बताया था कि लीची की फसल अच्छी होने के लिये एक पेड़ से दूसरे की दूरी 10 से 12 फुट होनी चाहिये. इससे फसल अच्छी होती है. लीची वैज्ञानिकों ने यहां के लीची उतपादकों को बाग की छटाई का तरीका भी बताया था.

वीरेंद्र सिंह लीची उत्पादक

सुपर प्लम ने इस बार 250 टन लीची की डिमांड की है. मैंने  100 एकड़ में लीची का बाग लगाया है. कंपनी की डिमांड पूरी हो, इसके लिये प्रयास करूंगा. कंपनी के प्रतिनिधि उपकरणों के साथ मई में पहुंचेंगे. इसके बाद लीची का तुड़ाव होगा. लीची की फसल अच्छी हो, इसके लिये बागों की देख-रेख कर रहे हैं.

– वीरेंद्र सिंह, लीची उत्पादक, सिमरा, बंदरा

– वीरेंद्र सिंह, लीची उत्पादक, सिमरा, बंदरा

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Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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