मुजफ्फरपुर. लंबे समय तक टीबी रहने से मरीजों की हड्डियां खोखली होने लगती है. जिसे ऑस्टियोपोरोसिस कहा जाता है. अधिकतर मरीज को पता ही नहीं होता कि वह हड्डी की बीमारी से ग्रसित हैं. टीबी ठीक होने के बाद जब हड्डी की बीमारी से निजात नहीं मिलती तो वह हड्डी रोग विशेषज्ञ के यहां पहुंचते हैं. इन दिनों ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ी है जो बीमारी ठीक होने के बाद डॉक्टर के पास पहुंच रहे हैं. पूछने पर वह बताते हैं कि उन्हें पहले टीबी हुआ था.
फेफड़ों को प्रभावित करता है टीबी
डॉक्टरों की माने तो टीबी मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करते हैं. लेकिन जब बैक्टीरिया सीधे हड्डियों में फैल जाता है तो यह हड्डियों के ऊतकों को नष्ट कर देता है और गंभीर क्षति पहुंचाता है, जिससे वे खोखली और कमजोर हो जाती हैं. रीढ़ की हड्डी में संक्रमण से दर्द और तंत्रिका संबंधी समस्याएं होने लगती है. पहले इस तरह की समस्या कम थी, लेकिन अब मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. गंभीर टीबी वाले मरीजों की हड्डियां प्रभावित हो जाती है. इसके लिये दवाओं के साथ हड्डियों को मजबूत रखने के लिये व्यायाम की आवश्यकता होती है.
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समय पर टीबी का इलाज जरूरी
हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ कुमार गौतम ने कहा कि टीबी के मरीजों में हड्डियों का खोखला होना एक चिंताजनक स्थिति है, जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है. ऐसे कई मामले आ रहे हैं, जिसमे लंबे समय तक टीबी से ग्रस्त मरीजों को हड्डियों में दर्द, फ्रैक्चर और चलने-फिरने में कठिनाई हो रही थी. इसका मुख्य कारण हड्डी का संक्रमित होना है. टीबी का समय पर और पूरा इलाज हड्डियों की इस जटिलता को रोकने के लिये जरूरी है.
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