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मौत के 60 दिनों बाद बंगलादेश से चकजमाल पहुंचा युवक का शव

मौत के 60 दिनों बाद बंगलादेश से चकजमाल पहुंचा युवक का शव

प्रतिनिधि, मीनापुर

मौत के 60 दिनों बाद चकजमाल गांव के बिजली राय (35) का शव बंगलादेश से पैतृक गांव लाया गया, जिसके बाद उसका दाह संस्कार किया गया. पिता टुन्ना राय ने पुत्र की चिता को मुखाग्नि दी. बंगलादेश में मौत के बाद परिजन परेशान थे. शव के लिए भाई बद्री राय ने मुजफ्फरपुर के डीएम, गृह मंत्रालय व विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर गुहार लगायी. इसको लेकर विधायक मुन्ना यादव ने भी डीएम को पत्र लिखा था. बताते चलें कि चकजमाल गांव के बिजली राय की मानसिक स्थिति वर्ष-2016 से खराब थी. 2019 में उसे रांची के कांके में इलाज कराया गया. वर्ष-2020 में वह घर छोड़ कर भाग गया. इसके बाद 2021 में उसे बंगलादेश बार्डर पर गिरफ्तार कर लिया गया़ उसके बाद राजशाही सेंट्रल जेल में डाल दिया गया. वहीं परिजन गुम होने के कारण चिंतित थे. 26 दिसम्बर 2024 को बगल की पंचायत के मुखिया पति को फोन कर रिहाई के लिए आवश्यक कागजात भेजने का अनुरोध किया गया. कागजात व्हाट्सएप पर भेज भी दिया गया. बताया गया कि सीआइडी से कागजात वेरिफिकेशन के बाद आगे की कार्रवाई होगी. 17 जनवरी को वहां से जेलर ने फोन किया कि बिजली राय का देहांत दो दिन पहले हो गया है. कागजी प्रक्रिया पूरी कर शव को ले जाइये. इसके बाद बद्री इधर-उधर भटकता रहा. इसके बाद भारतीय उच्चायोग ढाका के पत्र के आलोक में वरीय उप समाहर्ता ने लेटर भेजकर बद्री राय को बताया कि पार्थिव शरीर को प्राप्त करने के लिए उसे अधिकृत किया गया है. मृतक के भाई बद्री राय ने बताया कि वह 13 मार्च को घर से निकल गया. कटिहार जंक्शन पर उतरने के बाद वहां से दूसरी ट्रेन पकड़ कर पश्चिमी बंगाल के मालदा जिला पहुंचा. वहां बार्डर पर आवश्यक कार्रवाई के लिए अधिकारी अलर्ट मोड़ पर थे. वहां भारतीय उच्चायोग के निर्देश पर मर्चरी हाउस के डीप फ्रिजर से शव को एम्बुलेंस पर लादकर बंगलादेश का बार्डर सोना मस्जिद लैंड पोर्ट लाया गया. इसके बाद बीएसएफ के सहयोग से शव को भारत के बार्डर पश्चिमी बंगाल के मालदा जिले के महादीपुर लैंड पोर्ट पर शव को दूसरे एम्बुलेंस पर ट्रांसफर किया गया. पूरी कागजी प्रक्रिया के बाद शव को जीरो प्वाइंट से ट्रांसफर किया गया. एम्बुलेंस को लेकर बिचौलियों ने सौदा करना भी चाहा. लेकिन डीएम के हस्तक्षेप के बाद एम्बुलेंस मीनापुर के लिए प्रस्थान किया. शव को बक्शे में बंद कर इंडिया का झंडा लगा कर परिजनों को सुपुर्द किया गया. हालांकि दो महीने बाद शव की स्थिति काफी खराब हो गयी थी. गांव में एम्बुलेंस पहुंचते ही कोहराम मच गया. परिजनों की चीख-पुकार से माहौल गमगीन हो गया.

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