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मेगा फूड पार्क मोतीपुर में यूपी की कैटल फीड कंपनी 500 करोड़ करेगी निवेश

मेगा फूड पार्क मोतीपुर में यूपी की कैटल फीड कंपनी 500 करोड़ करेगी निवेश

बियाडा के प्रोजेक्ट क्लीयरेंस कमेटी की बैठक में चार एकड़ में यूनिट खोलने के लिए मिली स्वीकृति

ललितांशु, मुजफ्फरपुर

मोतीपुर स्थित मेगा फूड पार्क कैटल फीड यूनिट का हब बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने के तहत एक और कैटल फीड की बड़ी यूनिट को मंजूरी मिल गयी है. पटना में बीते दिनों हुए बियाडा के प्रोजेक्ट क्लीयरेंस कमेटी की बैठक में नयी कैटल फीड (पशु आहार) उत्पादन इकाइ स्थापित करने के लिए प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिल गयी. बियाडा के डीजीएम रवि रंजन प्रसाद ने बताया कि कैटल फीड कंपनी मेगा फूड पार्क में 500 करोड़ का निवेश करेगी. यह कंपनी उत्तर प्रदेश की है. फूड पार्क में कंपनी को यूनिट लगाने के लिए 4 एकड़ जमीन आवंटित किया गया है. इससे केवल पशुपालकों को उच्च गुणवत्ता वाला आहार स्थानीय स्तर पर उपलब्ध होगा, बल्कि क्षेत्र में रोजगार के नये अवसर भी सृजित होंगे. बता दें कि बीते वर्ष हुए बिहार बिजनेस कनेक्ट के तहत ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट से काफी रुझान बढ़ा है. देश-विदेश से उद्योगपति, निवेशक और आर्थिक विशेषज्ञों ने फूड पार्क का भ्रमण किया था.

—- आधुनिक तकनीक से लैस होगी कंपनी

बियाडा के अधिकारियों के अनुसार कंपनी की ओर से स्थापित की जा रही, यह यूनिट आधुनिक तकनीक से लैस होगी. इसमें विभिन्न प्रकार के पशुओं के लिए पौष्टिक आहार का उत्पादन किया जाएगा. इस यूनिट की स्थापना से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है. प्रत्यक्ष रोजगार के अंतर्गत उत्पादन, गुणवत्ता नियंत्रण, पैकेजिंग और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में कुशल और अकुशल श्रमिकों की आवश्यकता होगी. वहीं, अप्रत्यक्ष रूप से स्थानीय किसानों को अपनी फसलें (जैसे अनाज, खली आदि) बेचने के लिए एक नया बाजार मिलेगा. इसके अतिरिक्त, परिवहन, रखरखाव और अन्य सहायक व्यवसायों में भी रोजगार के अवसर पैदा होंगे.

—– पहले से छोटे बड़े डेढ़ दर्जन कैटल फीड यूनिट

मेगा फूड पार्क में कैटल फीड यूनिट की संख्या तेजी से बढ़ रही है. बियाडा के डीजीएम ने बताया कि अब तक छोटे-बड़े डेढ़ दर्जन कैटल फीड की यूनिट स्थापित हो चुकी है. कुछ का काम चल रहा है. इसके साथ ही दो बड़ी कैटल फीड यूनिट से प्रोडक्शन भी शुरू हो चुका है. अभी तक पड़ोसी राज्यों से पशु आहार मंगाना पड़ता था, जिससे लागत बढ़ जाती थी. ऐसे में स्थानीय स्तर पर आहार उपलब्ध होने से पशुपालन और अधिक लाभकारी बनेगा.

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