::: भूजल स्तर में भारी गिरावट से हाहाकार, 400 फीट तक बोरिंग की नौबत; नगर निगम ने केंद्र से मांगी वित्तीय-प्रशासनिक स्वीकृति
::: निगम बोर्ड से केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री की मौजूदगी में ओवरहेड टैंक पेयजल योजना की मिल चुकी है मंजूरी
वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर
लीची के स्वाद के लिए मशहूर मुजफ्फरपुर अब एक गंभीर जल संकट के मुहाने पर खड़ा है. उत्तर बिहार के इस प्रमुख शहरी केंद्र में भूजल का स्तर खतरनाक रूप से नीचे गिर चुका है. आलम यह है कि अधिकांश क्षेत्रों में भूजल 50 फीट से भी नीचे पहुंच गया है, जबकि कई जगहों पर सबमर्सिबल पंप लगाने के लिए 400 फीट तक बोरिंग करनी पड़ रही है. शहरीकरण और अत्यधिक दोहन ने इस संकट को और गहरा दिया है, जिससे भविष्य में पानी की किल्लत की आशंका बढ़ गयी है. इस विकट स्थिति से निपटने के लिए मुजफ्फरपुर नगर निगम ने एक दूरगामी सतही जल स्रोत आधारित ओवरहेड टैंक पेयजल योजना का प्रस्ताव तैयार किया है. नगर आयुक्त विक्रम विरकर ने शुक्रवार को नगर विकास एवं आवास विभाग को पत्र लिखकर इस योजना के लिए प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति की मांग की है. प्रस्तावित योजना के तहत, मुजफ्फरपुर को इस संकट से उबारने के लिए बूढ़ी गंडक नदी से पानी उठाया जायेगा. इन नदियों में पूरे वर्ष पर्याप्त जल उपलब्ध रहता है, जिससे स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी. उठाये गये जल को पीने योग्य बनाने के लिए आधुनिक फिल्ट्रेशन तकनीक युक्त जल शोधन संयंत्र (डब्ल्यूटीपी) स्थापित किया जायेगा. वहीं, शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में उच्च क्षमता के ओवरहेड टैंक बनाए जायेंगे, जिन्हें स्मार्ट नियंत्रण प्रणाली से जोड़ा जायेगा. पूरे नगर क्षेत्र में नई उच्च गुणवत्ता वाली पाइपलाइन बिछाई जायेगी, जिससे लीकेज रुकेगा और सभी वार्डों में समान रूप से जल आपूर्ति होगी. परियोजना की लागत और समय बचाने के लिए मौजूदा पाइपलाइन नेटवर्क का भी प्रभावी ढंग से उपयोग किया जायेगा और नई पाइपलाइन केवल उन्हीं क्षेत्रों में डाली जायेगी जहां पहले से यह उपलब्ध नहीं है.वर्तमान जल संकट और प्रस्तावित समाधान
वर्तमान में, मुजफ्फरपुर की पूरी जलापूर्ति भूजल पर निर्भर है, जिससे प्रतिवर्ष जल स्तर में तेजी से गिरावट आ रही है. शहर में पानी का उपभोग भी अत्यधिक असंतुलित है. कई इलाकों में लोगों को पर्याप्त शुद्ध पेयजल नहीं मिल पा रहा है. दशकों पुरानी पाइपलाइनों में लीकेज से हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है और पानी के उपयोग को मापने या नियंत्रित करने की कोई प्रभावी प्रणाली नहीं है.भविष्य की जरूरतों पर केंद्रित योजना
यह पूरी योजना अगले 30 वर्षों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए डिजाइन की गयी है. 2011 की जनगणना के अनुसार, मुजफ्फरपुर की जनसंख्या लगभग 3.5 लाख थी, जो अब बढ़कर 8.5 लाख तक पहुंच गयी है. प्रस्तावित शहर विस्तार के बाद वार्डों की संख्या 49 से बढ़कर 75 हो सकती है और आगामी 20-25 वर्षों में जनसंख्या 15 लाख तक पहुंचने की संभावना है.अमृत 2.0 से उम्मीद की किरण, केंद्र की मदद से मिलेगी सफलता
यह महत्वाकांक्षी परियोजना भारत सरकार की अमृत 2.0 योजना के सभी प्रमुख उद्देश्यों के अनुरूप है. इस योजना को अमृत 2.0 के तहत शामिल कर केंद्र एवं राज्य सरकार से संयुक्त वित्तीय और तकनीकी सहायता प्राप्त की जा सकती है. बीते एक मार्च को आयोजित नगर निगम बोर्ड की बैठक में भारत सरकार के जल शक्ति मंत्री की उपस्थिति में इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया था. अब निगाहें प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति पर टिकी हैं. ताकि, मुजफ्फरपुर को दीर्घकालिक, संतुलित और स्वच्छ जलापूर्ति मिल सके.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है