एनीमिया मुक्त भारत अभियान पर संकट, 66 फीसदी महिलाएं पीड़ित उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर महिलाओं में खून की कमी यानी एनीमिया के मामले में कमी नहीं आ रही है. स्वास्थ्य विभाग के हाल के रिपोर्ट के अनुसार 66 फीसदी महिलाएं इस बीमारी से पीड़ित हैं. पिछले दस वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि स्वास्थ्य विभाग के तमाम प्रयासों के बावजूद एनीमिया प्रभावित महिलाओं की संख्या में कमी नहीं आई है. यह स्थिति तब है, जब जिले में पीएचसी, एपीएचसी, आंगनबाड़ी केंद्र और बाल स्वास्थ्य कार्यक्रमों के तहत जांच व उपचार की सुविधाएं उपलब्ध हैं. आलम यह है कि एसकेएमसीएच में रोजाना औसतन पांच यूनिट रक्त एनीमिया रोगियों को चढ़ाया जा रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि आयरन की कमी, अपर्याप्त पोषण, जागरूकता की कमी के कारण यह समस्या और बढ़ रही है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के वर्ष 2021 में जिले में एनीमिया की दर 61.1 फीसदी थी, जो राष्ट्रीय औसत 57 फीसदी अधिक थी. हालांकि पिछले चार वर्षों में एनीमिया पीड़ित महिलाओं की संख्या 66 फीसदी हो गयी. रिपोर्ट के अनुसार पिछले पांच वर्षों में 6 से 59 महीने के 64.6 फीसदी, 15 से 49 वर्ष की महिलाएं 58.7 फीसदी, 15-49 वर्ष की गर्भवती महिलायें 61.7 फीसदी और 15 से 19 वर्ष की लड़कियां 66.1 फीसदी महिलायें एनीमिया से पीड़ित हैं. इसका कारण है कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर आयरन व फोलिक एसिडकी गोलियां वितरित की जा रही हैं, लेकिन कई महिलाएं इन्हें नियमित रूप से नहीं लेतीं. पीएचसी और एपीएचसी में डिजिटल हीमोग्लोबिनोमीटर से जांच की सुविधा है, मगर ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच और जागरूकता की कमी के कारण महिलायें जांच नहीं कराती हैं. एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य कार्यकर्ता, जैसे आशा और एएनएम, गर्भवती महिलाओं और किशोरियों को जागरूक करने में जुटी हैं, लेकिन सफलता नहीं मिल रही है. गर्भवती महिलाएं भी नियमित नहीं करा रही जांच गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच की सरकारी अस्पतालों मे व्यवस्था है, लेकिन 30 फीसदी महिलायें निबंधन तो कराती हैं, लेकिन जांच कराने नियमित तौर पर नहीं आती. जिस कारण उनके शरीर से खून में कमी बनी रहती है. प्रसव के दौरान इन महिलाओं की जान का खतरा हो जाता है. स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ प्राची सिंह कहती हैं कि महिलाओं को नियमित तौर पर हीमोग्लोबिन की जांच करा कर डॉक्टर के परामर्श से दवाएं लेनी चाहिये. गर्भवती महिलाओं के लिये यह बहुत जरूरी है. खून की कमी के कारण प्रसव में कई समस्याएं आ सकती हैं.
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