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बिहार में एनडीए के सीट बंटवारे में पिछड़ा-दलित पर रहेगा फोकस

बिहार में एनडीए के बीच सीटों का बंटवारा अंतिम चरण में है. बीजेपी समेत एनडीए पार्टी के प्रमुख नेताओं के बयान इसकी पुष्टि कर रहे हैं. एनडीए में सीट बंटवारे में सबसे बड़ी दिक्कत एलजेपी के दो गुटों के कारण है.

सुमित कुमार, पटना. बिहार में एनडीए दलों के बीच सीटों का बंटवारा अंतिम दौर में है. भाजपा सहित एनडीए दल के प्रमुख नेताओं के बयान इसकी तस्दीक कर रहे हैं. गठबंधन अब सीट से एक कदम आगे बढ़ कर जिताऊ उम्मीदवारों पर चर्चा कर रहा है. गठबंधन में शामिल दलों के शीर्ष नेतृत्व जातिगत व राजनीतिक समीकरण के साथ ही कई मापदंडों पर उम्मीदवारों को अंतिम परख रहे हैं.

40 में से 20 उम्मीदवार पिछड़ा व अति पिछड़ा वर्ग से

2024 लोकसभा चुनाव में भी एनडीए बिहार में पिछड़ा व दलित उम्मीदवारों पर ही फोकस करता दिख रहा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए दलों ने 40 में से आधी यानी 20 सीटें पिछड़ा व अति पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों को दी थी. इनके अलावा छह सुरक्षित सीटों से दलित उम्मीदवार जबकि 14 सीटों पर सवर्ण उम्मीदवार (एक मुस्लिम सहित) उतारे थे. यह समीकरण इतना सफल रहा कि एकमात्र किशनगंज छोड़ कर सभी 39 सीटें एनडीए की झोली में गिरी थी. इस समीकरण में छेड़छाड़ की गुंजाइश कम दिख रही है.

पिछड़े को 12, अति पिछड़े को मिली थी आठ सीटें

पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए ने पिछड़ा वर्ग को 12 सीटें, जबकि अति पिछड़ा वर्ग को आठ सीटें दी थीं. पिछड़ा वर्ग में सबसे अधिक पांच यादव, तीन-तीन कुशवाहा व वैश्य तथा एक कुर्मी को चुनाव मैदान में उतारा था. अति पिछड़ा वर्ग में धानुक, केवट, गंगेयी, गोंसाई, निषाद, गंगोता, चंद्रवंशी और मुस्लिम को एक-एक सीटें दी गयी थीं. दलित की छह सुरक्षित सीटों में चार पासवान, एक रविदास और एक मुसहर समाज को मिली.

सवर्ण जाति की 14 सीटों में सबसे अधिक सात सीटों पर राजपूत, तीन पर भूमिहार, दो पर ब्राह्मण, एक पर कायस्थ और एक सवर्ण मुस्लिम को उतारा गया था. सवर्णों को 14 में से नौ सीटें भाजपा ने दी थी, जबकि जदयू के 17 उम्मीदवारों में 13 पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों के ही उम्मीदवार थे.

लोजपा ने छह सीटों में से तीन सुरक्षित सीटों से अपने परिवार को रखा, जबकि तीन सवर्ण (एक मुस्लिम सहित) को टिकट दिया था.सीटिंग सांसदों पर खतरा, पर जातिगत समीकरण रहेगा यथावतभाजपा सूत्रों की मानें, तो 195 उम्मीदवारों की पहली सूची आने के बाद बिहार में भी एनडीए के कई सीटिंग सांसदों की उम्मीदवारों पर खतरा है, लेकिन उससे जातिगत समीकरण प्रभावित नहीं होगा.

उम्र, परफॉर्मेंस और दूसरे समीकरणों को आधार पर कुछ सांसद हटेंगे, पर उनकी जगह उसी समाज के दूसरे उम्मीदवार को टिकट मिल सकता है. महिला कोटे से एक-दो सीटें बढ़ने की उम्मीद लगायी जा रही है. एनडीए का सबसे बड़ा दल होने के नाते भाजपा सहयोगी दलों के उम्मीदवारों को भी अपने पैमाने पर परख रही है.


लोकसभा चुनाव की सीट को लेकर चाचा-भतीजा के बीच खींचतान जारी

लोकसभा चुनाव 2024 के टिकट बंटवारे को लेकर सभी गठबंधनों को बीच संभावित उम्मीदवारों को लेकर चर्चा चल रही है. एनडीए में सीटों के बंटवारे में सबसे परेशानी का सबब लोजपा के दोनों धड़ों को लेकर है. 2019 के लोकसभा चुनाव में छह सीट जीतने वाली लोजपा पार्टी संस्थापक रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद दो धड़ों में बंट गयी. एक का नेतृत्व उनके भाई पशुपति कुमार पारस और दूसरे का नेतृत्व पुत्र चिराग पासवान कर रहे हैं. यानी लोजपा चाचा-भतीजे के बीच पार्टी बंट गयी.

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पिछले चार लोकसभा चुनावों में औसतन 80 फीसदी से अधिक उम्मीदवारों की जमानत जब्त

वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव निकट है. वहीं, अगर पिछले चार लोकसभा चुनावों को देखें, तो बिहार की कुल 40 लोकसभा सीटों पर 80 फीसदी से अधिक प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो जाती है. इनमें राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय प्रतिष्ठित दलों के दिग्गज प्रत्याशी भी शामिल हैं.

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लोकसभा में कांग्रेस बाहरी और जिताऊ प्रत्याशियों में लगाती रही है लगातार दांव

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को राज्य में बाहरी प्रत्याशियों को मैदान में उतारने से कोई गुरेज नहीं रहा है. उसकी शर्त यह रही कि प्रत्याशी नेमफेम और जिताऊ होना चाहिए. वह लोकसभा चुनाव में अपने जमीनी कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर ठीक संख्या में ऐसे प्रत्याशियों को लोकसभा का टिकट देती रही है.

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दो परिवारों के इर्द-गिर्द घूमती रही है औरंगाबाद की राजनीति

मगध साम्राज्य का अंग रहे औरंगाबाद ने बिहार को मुख्यमंत्री जैसी शख्सियत भी दी है. औरंगाबाद के 72 साल के संसदीय इतिहास दो परिवारों को इर्द-गिर्द घूमता रहा है. इन 72 सालों में दो परिवारों का 57 साल तक कब्जा रहा है.

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Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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