बिहार में वर्ष 1983 में एक भीषण डकैती हुई थी. इस दौरान डकैतों ने एक शख्स की गोली मारकर हत्या कर दी थी. ऐसा कहना है एक बुजुर्ग का जो डकैती की घटना के 42 साल के बाद अदालत पहुंचे और जज के सामने अपना बयान दर्ज करवाया. गोपालगंज के 84 वर्षीय लक्ष्मी नारायण यादव एडीजे -10 मानवेंद्र मिश्र की कोर्ट में पहुंचकर इंसाफ मांग रहे थे. इस घटना के 5 आरोपी की मौत भी हो चुकी है. लेकिन इंसाफ अभी भी बाकी है.
1983 की आधी रात को हुई थी डकैती
गोपालगंज के उचकागांव थाने के लखना खास गांव में 2-3 दिसंबर 1983 की आधी रात में हथियारों से लैस डकैतों ने तांडव मचाया था. ग्रामीण जयराम सिंह के घर पर तब डकैतों ने धावा बोल दिया था और जमकर लूटपाट की थी. इस दौरान बदमाशों ने परिवार के लोगों को बंधक बना लिया था.
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42 साल बाद कोर्ट पहुंचे गवाह ने बताया…
42 साल बाद कोर्ट में गवाही देने आए लक्ष्मी नारायण ने कहा कि जब रात में तेज आवाज सुने तो सभी दौड़कर पहुंचे. डकैतों ने पलानी में सो रहे जय राम सिंह को भाला मार दिया था. उनकी आंखों के सामने ही डकैतों ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी थी. गवाह ने बताया कि टॉर्च की रोशनी में उन्होंने डकैत को पहचाना था.
अब जीवन के अंतिम पड़ाव में दिलवाने आए इंसाफ
गवाह लक्ष्मीनारायण ने जज से कहा कि इस कांड में 40 साल पहले भी गवाही हुई थी. अब कोर्ट का समन जाने के बाद जीवन के अंतिम समय में इंसाफ चाहते हैं. इसके लिए वो कोर्ट आए हैं. बताया कि पीड़ितों को इंसाफ मिलने का इंतजार है. इसलिए यह गवाही बेहद महत्वपूर्ण है. कोई में एपीपी ने बयान दर्ज कराया.
पांच आरोपी की हो चुकी है मौत
गवाह ने लखना गांव के ही अभियुक्तों के खिलाफ गवाही दी. इनमें से अब तीन ही लोग जिंदा हैं. पांच नामजद अभियुक्तों की मौत भी हो चुकी है.