Bihar: बिहार में शिक्षा और अनुशासन की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल की जा रही है. झारखंड के अलग होने के बाद पहली बार राज्य को एक पूर्ण आवासीय पुलिस विद्यालय मिलने जा रहा है, जो सैनिक स्कूल और नेतरहाट की तर्ज पर विकसित किया जाएगा. यह स्कूल न केवल पुलिसकर्मियों के बच्चों को बल्कि आम नागरिकों के बच्चों को भी उच्चस्तरीय शिक्षा देने का अवसर प्रदान करेगा.
नौबतपुर में चिन्हित की गई जमीन, जून तक गृह विभाग को जाएगा प्रस्ताव
इस विद्यालय के लिए पटना के पास नौबतपुर क्षेत्र में करीब दो एकड़ जमीन की पहचान कर ली गई है. प्रस्ताव के अनुसार, विद्यालय पूरी तरह आवासीय होगा और पुलिसकर्मियों के बच्चों के लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित होंगी. वहीं, शेष 50 प्रतिशत सीटों पर आम बच्चों को दाखिले का अवसर मिलेगा. यह व्यवस्था बिहार पुलिस फंड से वेतन प्राप्त सभी रैंकों के अधिकारियों, कर्मचारियों तथा शहीद व सेवानिवृत्त पुलिसकर्मियों के बच्चों के लिए वरदान साबित होगी.
पुलिस मुख्यालय में इस स्कूल की स्थापना को लेकर प्राथमिक स्तर पर विचार-विमर्श हो चुका है. एक प्रारंभिक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, जिसे जून 2025 तक गृह विभाग को सैद्धांतिक सहमति के लिए भेजे जाने की योजना है. इसके पहले, पुलिस मुख्यालय ने राज्य के विभिन्न वरीय अधिकारियों जैसे डीजी, एडीजी, क्षेत्रीय आईजी और डीआईजी से भी उनके सुझाव मांगे हैं.
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दो चरणों में होगी पढ़ाई की व्यवस्था, मिलेगा CBSE से संबद्धता
शुरुआत में विद्यालय में आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई कराई जाएगी, जिसके लिए बिहार शिक्षा परियोजना परिषद (BEPC) से संबद्धता ली जाएगी. आगे चलकर, विद्यालय को सीबीएसई (CBSE) से संबद्ध कर बारहवीं कक्षा तक की पढ़ाई उपलब्ध कराई जाएगी. यह कदम राज्य में पुलिस परिवारों को न केवल सामाजिक सुरक्षा बल्कि शैक्षणिक मजबूती भी प्रदान करेगा. साथ ही, अनुशासन और नेतृत्व क्षमता के विकास में भी यह संस्थान एक मील का पत्थर साबित हो सकता है.