Bihar Train: सीवान गोरखपुर रेलखंड में तकरीबन एक दर्जन जोड़ी ट्रेनें चल रही है. दिल्ली, मुम्बई व अन्य बड़े शहरों के लिए भी स्पेशल ट्रेनें भी है. लेकिन इसके बावजूद भी अपने काम पर लौटने वाले लोगों को काफी परेशान होना पड़ रहा है. करीब 15 दिन पहले दिल्ली से अपने घर लौटे महेंद्र सिंह ने बताया कि मुझे दिल्ली जाना है. एसी सेकेंड क्लास के लिए भी ट्राई किया. लेकिन वहां भी लंबा वेटिंग है. हटिया जाने वाले अनिल बताते हैं कि अगर समय से काम पर नहीं पहुंचे तो नौकरी को खो जाने का भी भय है.
टिकट के जुगाड़ में परदेशी
सीवान से दूसरे प्रदेशों को जाने वाली सभी प्रमुख ट्रेनों में करीब अगस्त माह के प्रथम सप्ताह तक किसी भी क्लास में कंफर्म सीट नहीं मिल रहा है. विशेष ट्रेनों में भी सीट नहीं मिल रहा है. विशेष ट्रेनों की घोषणा के साथ ही सभी सीटें फुल हो गई. नई दिल्ली जाने के लिए 30 जुलाई तक किसी भी ट्रेन में कंफर्म बर्थ नहीं है. अपने काम पर वापस लौटने के लिए परदेशी टिकट के जुगाड़ में है. मुंबई, गुजरात तथा असम जाने वाली ट्रेनों की हालत तो और ही खराब है. इन ट्रेनों में करीब तीन माह तक किसी भी क्लास में सीट खाली नहीं है. कोलकता जाने के लिए करीब एक माह तक किसी भी ट्रेन में सीट नहीं है. सीवान से मथुरा जाने वाली ट्रेन में भी एक माह तक किसी भी क्लास में बर्थ नहीं होने के कारण लोगों को और परेशानी हो रही है.
रात्रि आठ बजे से ही तत्काल के लिए लग जाते हैं कतार में
परदेश लौटने वाले लोगों का एक मात्र विकल्प तत्काल टिकट ही बचा है. रात्रि आठ बजे जब आरक्षण टिकट काउंटर बंद हो जाता है तब लोग दूसरे दिन का तत्काल टिकट लेने के लिए कतार में लग जाते हैं. वहीं जब दूसरे दिन तकरीबन 8:15 बजे तत्काल के लिए तकरीबन 5 से 6 लोगो को टोकन मिलता है. लेकिन जब टिकट बनता है तब मात्र एक ही व्यक्ति तत्काल टिकट लेने में सफल होता है.
चार पहिया वाहनों का बढ़ा डिमांड
ट्रेनों के अभाव और कम दूरी वाले शहरों के लिए फ्लाइट का किराया अपेक्षाकृत अधिक रहने के कारण छोटे वाहनों को रिजर्व कर लोग अपने काम पर लौट रहे हैं. टाटा, लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, इलाहाबाद, रांची, बोकारो, सिलीगुड़ी जैसे शहरों में काम करने वाले लोग स्कॉर्पियो, बोलेरो और सूमो जैसी गाड़ियों को बुक कर रहे हैं. एक वाहन में छह से सात लोगों के जाने की प्लानिंग के कारण उन्हें किराये के मद में काफी ज्यादा राशि नहीं खर्च हो रही है और लोग अपनी मर्जी से जब मन किया तब चल दे रहे हैं. इसी कारण चार पहिया वाहनों की पूछ बढ़ गई हैं.