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NHAI जीएम की गिरफ्तारी के 10 दिन पूर्व मुजफ्फपुर में दी गई 50 लाख की रिश्वत, ऐसे खुल रही भ्रष्टाचार की परत दर परत

NHAI जीएम की गिरफ्तारी के 10 दिन पूर्व मुजफ्फपुर में 50 लाख की रिश्वत दी गई. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने अपनी प्राथमिकी में यह उल्लेख किया है.

Patna News. राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के महाप्रबंधक (जीएम) रामप्रीत पासवान की घूस प्रकरण में गिरफ्तारी के बाद भ्रष्टाचार की परत दर परत खुल रही हैं. अब यह जानकारी सामने आ रही है कि जीएम पासवान की गिरफ्तारी से महज 10 दिन पूर्व एनएचएआई के पटना और मुजफ्फरपुर के अधिकारियों को 50 लाख की रिश्वत दी गई थी. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने अपनी प्राथमिकी में यह उल्लेख किया है.

दरभंगा व मुजफ्फरपुर के पीडी ललित कुमार को दो बार में दी गई 20 लाख

सूत्रों के अनुसार मुजफ्फरपुर, दरभंगा के प्रोजेक्ट डायरेक्टर (पीडी) ललित कुमार को 10 लाख और साइट इंजीनियर अंशुल ठाकुर को दो लाख रुपये बतौर रिश्वत दिए गए थे. निर्माण कंपनी आमस-दरभंगा प्रोजेक्ट से संबंधित एनएच-119डी के ताल दशहरा से बेला नवादा सेक्शन ग्रीनफील्ड अलाइनमेंट के एनएच खंड पर निर्माण का काम कर रही है. सड़क निर्माण से जुड़ी कंपनी ने परियोजना कार्यान्वयन इकाई दरभंगा, मुजफ्फरपुर के परियोजना निदेशक ललित कुमार को दो बार में 20 लाख रुपये की रकम दी गई.

10 लाख रुपये की रिश्वत दी गई थी

इसी प्रकार 12 मार्च को 10 लाख का भुगतान किए जाने से पहले ललित कुमार को 20 नवंबर 2024 को भी 10 लाख रुपये की रिश्वत दी गई थी. इसके अलावा एनएचएआई क्षेत्रीय कार्यालय के एजीएम अकाउंट्स हेमन मेधी को भी 30 जनवरी 2025 को तीन लाख रुपये का भुगतान किया गया. जीएम रामप्रीत पासवान को 20 लाख और एनएचएआई पूर्णिया के डीजीएम कुमार सौरभ को पांच लाख दिए जाने थे. सीबीआई सूत्रों की माने तो एनएचएआई पटना क्षेत्रीय कार्यालय के जीएम रामप्रीत पासवान, मेसर्स आरकेएससीसी के साथ उस समय से संपर्क में हैं, जब वे बतौर परियोजना कार्यान्वयन इकाई, दरभंगा, मुजफ्फरपुर में परियोजना निदेशक के रूप में तैनात थे.

10 लाख रुपये की रिश्वत दी गई थी

उसी वक्त उन्होंने लंबित बिलों को मंजूरी के लिए रिश्वत की मांग की थी. पासवान ने मेसर्स रवि ट्रैवल्स के वाहन का इस्तेमाल अपने निजी इस्तेमाल के लिए किया, लेकिन इसके भुगतान का बिल कंस्ट्रक्शन कंपनी के जीएम सुरेश महापात्रा को भिजवाया. जांच एजेंसी के मुताबिक कंस्ट्रक्शन कंपनी के जीएम अमर नाथ झा ने हेमकांत झा को आश्वासन दिया था कि मेसर्स आरकेएससीपीएल के खाते में माइलस्टोन बिल के भुगतान के बाद वाईबी सिंह का रिश्वत का हिस्सा चुका दिया जाएगा. सूत्र बता रहे हैं कि इस मामले में जांच जारी है और जांच के क्रम में कई सफेदपोशों के नाम सामने आने की संभावना है.

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Radheshyam Kushwaha
Radheshyam Kushwaha
पत्रकारिता की क्षेत्र में 12 साल का अनुभव है. इस सफर की शुरुआत राज एक्सप्रेस न्यूज पेपर भोपाल से की. यहां से आगे बढ़ते हुए समय जगत, राजस्थान पत्रिका, हिंदुस्तान न्यूज पेपर के बाद वर्तमान में प्रभात खबर के डिजिटल विभाग में बिहार डेस्क पर कार्यरत है. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते है. धर्म, राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों को पढ़ते लिखते रहते है.

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