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Durga Puja 2022 : पटना का ये पंडाल होगा इको फ्रेंडली, मां दुर्गा को पहनाये जाते हैं सोने के गहने

दुर्गा पूजा हिन्दू धर्म के विशेष पर्व में से एक है. इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. पटना में पूजा की तैयारियां शुरू हो चुकी है. हम आपको बता रहे हैं पटना शहर कर एक ऐसे पूजा स्थल के बारे में जहां धूम धाम से पूजा की जाती है.

पटना. इस वर्ष 26 सितंबर से दुर्गा पूजा की शुरुआत होने जा रही है. इसके लिए शहर में तैयारियां शुरू हो चुकी है. जगह जगह पंडाल और मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है. पटना का कदमकुआं इलाका दुर्गोत्सव के लिए पूरे राज्य में प्रसिद्ध है. यहां आये बिना दुर्गोत्सव भ्रमण की यात्रा पूरी नहीं होती है. इसका मुख्य कारण है हर साल एक से बढ़कर एक पंडाल, सजावट और मूर्तियों का निर्माण पूजा समितियों की ओर से करायी जाती है.

105 साल पहले हुई स्थापना

कदमकुआं इलाके के प्रसिद्ध पंडालों में से एक नाम है श्रीश्री दुर्गा पूजा कल्याण समिति (ठाकुरवाड़ी, कदमकुआं). इस समिति की स्थापना 1917 में यानी आज से 105 साल पहले हुई थी. समिति की स्थापना में मुख्य योगदान बंशी लाल और जगन भगत को जाता है. यहां की मूर्ति और पंडाल को देखने के लिए पूजा के दौरान लोगों की काफी भीड़ होती है.

प्रतिमा को कंधे पर रख कर भद्र घाट तक ले जाते थे पैदल

पहले यहां तो बंगाली परंपरा के अनुसार एक ही ढढ़र फ्रेम पर तीन प्रतिमाएं बनती थीं. इनमें मां दुर्गा और राक्षस एक फ्रेम में बनाये जाते थे. प्रतिमा के विसर्जन के बाद यह फ्रेम वापस अपने स्थान रखा जाता था. प्रतिमा का विसर्जन भद्र घाट पर होता था. खासियत यह थी कि प्रतिमा को समिति के सदस्य कंधे पर रख करकर भद्र घाट तक पैदल ले जाते थे. उस वक्त का उत्साह देखते बनता था.

कोलकाता के मूर्तिकार करते हैं निर्माण 

लेकिन 1958 से बंगला परंपरा को छोड़ बड़ी प्रतिमा बैठने की परंपरा शुरू हुई, जो आज भी बरकरार है. इनमें मां दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, गणेश और कार्तिक की प्रतिमा बनायी जाती है. मूर्ति का निर्माण कोलकाता के मूर्तिकार परिवार पाल की ओर से होती रही है. इस वर्ष मूर्ति का निर्माण कोलकाता के मूर्तिकार शिव शंकर पंडित की टीम कर रही है.

शुद्ध सोने के होते हैं गहने

यहां की प्रतिमा को जो गहने पहनाया जाता है वह शुद्ध सोने का होता है. हर प्रतिमा को पांच सेट गहने हैं. इनमें बड़ी हार, छोटी हार, मांगटिका, नथूनी, हाथ फूल और कनबाली हैं. मां को गहने पहनाने से पहले गहने की साफ-सफाई की जाती है.

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इको फ्रेंडली होगा पंडाल

श्रीश्री दुर्गा पूजा कल्याण समिति की ओर से इस बार इको फ्रेंडली पंडाल बनाया जा रहा है. इसका मुख्य मकसद लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना है. इसके लिए कोलकाता से कलाकार आये हैं. पूरा पंडाल जूट से तैयार हो रहा है. पंडाल दक्षिण भारत के मंदिरों के तर्ज होगा. बनारस और बंगाली पद्धति से होता है पूजा : यहां होने वाली पूजा अपने आप में अनोखा है. यहां बनारस और बंगाली पूजा पद्धति से संपन्न होता है. इसलिए यहां की पूजा में शामिल होने के लिए दूर-दूर से मां के भक्त आते हैं.

Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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