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रेलवे में मुआवजे के 100 करोड़ रुपए का हुआ था घपला, ईडी ने बिहार और दिल्ली में दो दर्जन संपत्ति की जब्त

Indian Railways: रेलवे में मुआवजे के 100 करोड़ के घपले में ईडी ने बड़ी कार्रवाई की है. दिल्ली और बिहार में 8 करोड़ की संपत्ति को जब्त किया है. कई आरोपियों को दोषी ठहराने की तैयारी शुरू हुई है.

Indian Railways: पटना रेलवे दावा न्यायाधिकरण घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के केस में ईडी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए आठ करोड़ से अधिक की दो दर्जन संपत्तियां जब्त की है. वहीं इस मामले में आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है. फर्जी प्रमाणपत्र पर मुआवजे का दावा और 100 करोड़ की हेराफेरी का यह मामला है.

इन लोगों को दोषी ठहराने की मांग की…

इडी ने इस घोटाले में जिनको दोषी ठहराने की मांग की है उनमे वकील विद्यानंद सिंह, परमानंद सिन्हा, रिंकी सिन्हा, अर्चना सिन्हा, विजय कुमार, निर्मला कुमार और मे. हरजिग बिजनेस एंड डेवलपमेट प्राइवेट लि. के नाम हैं. ईडी ने रेलवे में अज्ञात लोगों की मृत्यु दावा मामले में गड़बड़ी और आपराधिक मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी पर जांच शुरू की गयी है.

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जांच में क्या मिला?

इस जांच में कहा गया था कि मृत्यु से जुड़े रेलवे दावों में घपला किया गया और दावेदारों को रेलवे से मिली राशि में से केवल एक हिस्सा ही दावेदारों को दिया गया. जबकि बड़ा हिस्सा साजिशकर्ताओं ने हड़कप लिया. जांच में यह बात भी सामने आयी कि एडवोकेट विद्यानंद सिंह और उनके वकीलों की टीम ने 900 से अधिक दावों का निपटारा किया. जिसे जज आरके मित्तल ने पारित किया था.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीबीआइ ने दर्ज किया था मामला

यह मामला सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीबीआइ ने दर्ज किया था.जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस उदय यू ललित की बेंच ने जांच एजेंसियों को उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. इस घोटाले में रेलवे कर्मचारियों के नाम पर फर्जी दावे बनाये गये थे.

क्या है मामला…

रेलवे का यह घोटाला रेलवे में हादसे के बाद घायलों और मृतकों के नाम पर फर्जी तरीके से मुआवजा हासिल करने से संबंधित है. इस मामले में रेलवे की आपत्ति के बाद शिकायत दर्ज की गयी थी. इस मामले में पटना में सीबीआइ की टीम ने आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी समेत कुछ अन्य धाराओं में केस दर्ज किया था. इसके तहत करीब 100 करोड़ रुपये की हेराफरी की गयी थी. इसमें रेलवे के न्यायिक अधिकारी, वकील और सरकारी कर्मचारियों की भूमिका की बात सामने आई थी.

ईडी की जांच में क्या मिला?

इडी ने पाया कि विद्यानंद सिंह और उनके वकीलों की टीम ने दावेदारों की जानकारी के बिना उनके बैंक खाते खोले और उन खातों के जरिए लेन-देन किया. उन्होंने रेलवे से प्राप्त दावा राशि को अपने खातों में या नकद निकालने के लिए दावेदारों के हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान का इस्तेमाल किया. दावेदारों के बैंक खाते से वकीलों के बैंक खातों में 10.27 करोड़ रुपये ट्रांसफर किये गये. यही नहीं, वकीलों की पत्नियों ने अपराध की इस आय को छिपाने के लिए एक कंपनी के नाम पर 24 अंचल संपत्तियां अर्जित की. जो पटना, नालंदा, गया और नयी दिल्ली में स्थित है. इस मामले में इसी वर्ष जनवरी महीने में इडी की टीम ने पटना, नालंदा मे छापा मारा था. इसमें वकील विद्यानंद सिंह, परमानंद सिन्हा और विजय कुमार को गिरफ्तार किया गया और वर्तमान में सभी न्यायिक हिरासत में है.

ThakurShaktilochan Sandilya
ThakurShaktilochan Sandilya
डिजिटल मीडिया का पत्रकार. प्रभात खबर डिजिटल की टीम में बिहार से जुड़ी खबरों पर काम करता हूं. प्रभात खबर में सफर की शुरुआत 2020 में हुई. कंटेंट राइटिंग और रिपोर्टिंग दोनों क्षेत्र में अपनी सेवा देता हूं.

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