Jagannath Rath Yatra: पटना के इस्कॉन मंदिर व पटना सिटी के गोपीनाथ गली स्थित 130 वर्ष पुरानी जगन्नाथ मंदिर में भव्य रथयात्रा की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. शुक्रवार को भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर विराजमान होकर नगर भ्रमण के लिए प्रस्थान करेंगे. यह यात्रा भक्तों के लिए दर्शन, आशीर्वाद और भक्ति का अनुपम अवसर होगी. भगवान के रथ को पारंपरिक शिल्प, कला और धार्मिक सौंदर्य से अलंकृत किया गया है, जो भक्तों को आध्यात्मिक आनंद प्रदान करेगा. इस रथयात्रा में पारंपरिक संस्कृति की झलक भी विशेष आकर्षण का केंद्र होगी. श्रद्धालु भाव विभोर होकर प्रभु की भक्ति में लीन होंगे, और पूरे नगर में भक्ति और उल्लास की पवित्र गूंज सुनाई देगी. मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ रथयात्रा की शुरुआत आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से होती है और इसका समापन दशमी तिथि को होता है. आषाढ़ शुक्ल दशमी तिथि 5 जुलाई को होगा.
बंगलुरु, कोलकाता और थाइलैंड से आया फूल
इस वर्ष इस्तेमाल होने वाला रथ आधुनिक तकनीक से लैस है. बिजली के तारों के नीचे भी आसानी से चल सके और फूलों की सजावट के लिए बंगलुरु, कोलकाता और थाइलैंड से ताजे गुलाब, गेंदा, ऑर्किड, क्रिसैंथेमम मंगवाये गये हैं. जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलराम, सुभद्रा की मूर्तियों को 40-फुट ऊंचे हाइड्रोलिक रथ पर सजाकर निकाला जायेगा. 100 क्विंटल ताजे फूलों से रथ को भव्य रूप से सजाया गया है.रथ पर चैत्य महाप्रभु, शंख-गदा जैसे धार्मिक प्रतीक और धार्मिक चित्र गढ़कर कलात्मक रूप दिया गया है.
मूंगफली-मिश्री-सौंफ प्रसाद के रूप में होगा वितरण
इस यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु भजन-कीर्तन और संकीर्तन के साथ भाग लेंगे. मार्ग पर भजन‑कीर्तन, जगह-जगह श्रद्धालुओं द्वारा स्वागत और पुष्प वर्षा की जायेगी. वहीं मूंगफली-मिश्री-सौंफ का प्रसाद वितरण किया जायेगा
नगर भ्रमण का यह होगा रूट
इस्कॉन मंदिर के रमण मनोहर दास ने बताया कि इस्कॉन मंदिर, बुद्ध मार्ग से शुक्रवार को को भव्य रथ यात्रा निकाली जाएगी. यह यात्रा दोपहर 2:30 बजे श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा जी की सुशोभित रथ पर आरंभ होगी और नगर भ्रमण करते हुए शाम 7:00 बजे पुनः मंदिर परिसर में संपन्न होगी. रथ यात्रा इस्कॉन मंदिर, बुद्ध मार्ग से आरंभ होकर तारा मंडल, इनकम टैक्स गोलंबर, विद्युत भवन, हाई कोर्ट और बिहार म्यूजियम मार्ग होते हुए आगे बढ़ेगी. वापसी मार्ग में यह महिला कॉलेज, इनकम टैक्स गोलंबर, कोतवाली, डाक बंगला चौराहा, मौर्यालोक होते हुए पुनः कोतवाली और फिर इस्कॉन मंदिर, बुद्ध मार्ग पहुंचेगी.
भव्य आरती और महाप्रसाद का होगा वितरण
रथयात्रा के समापन पर विशेष महाआरती का आयोजन किया जाएगा जिसमें इस्कॉन के वरिष्ठ आचार्यगण और संत महात्मा भाग लेंगे. इसके बाद सभी श्रद्धालुओं को महाप्रसाद का वितरण किया जायेगा.
प्रशासन ने की है विशेष तैयारी
सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर प्रशासन ने विशेष तैयारियां की हैं. महिला श्रद्धालुओं, बच्चों और बुजुर्गों की सुविधा के लिए विशेष प्रबंध किये गये हैं. चिकित्सा सहायता और जल वितरण के स्टॉल भी रथयात्रा मार्ग में जगह-जगह लगाये जायेंगे.
फ्रेंडस ऑफ जगन्नाथ का होगा गठन
इस्कॉन पटना अध्यक्ष कृष्ण कृपा दास ने कहा कि यह रथ यात्रा न केवल सनातन परंपरा का प्रतीक है, बल्कि समाज में समरसता, सेवा और भक्ति के भाव को भी जाग्रत करती है. जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारियां पूरे उत्साह और श्रद्धा से जोरों पर हैं. यह आयोजन सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भक्ति, सामाजिक एकता और आध्यात्मिकता का पर्व होगा, जो पटना को नयी ऊर्जा से भर देगा. उन्होंने बताया कि मंदिर समिति और प्रशासन ने एक महीने पहले फ्रेंडस ऑफ जगन्नाथ नामक युवा स्वयंसेवा समूह गठित किया है, जिसमें सौ से अधिक युवाओं ने मार्ग सफाई, भक्तों की सहायता और सुरक्षा के इंतजामों की जिम्मेदारी ली है.
प्रभु को लगेगा 1008 प्रकार का भोग
ओडिशा और अन्य राज्यों से लेकर देशभर से भक्त 1008 विविध प्रकार के भोग अर्पित करेंगे जो इस पावन आयोजन की शोभा बढ़ाएंगे. साथ ही अंतरराष्ट्रीय कीर्तन मंडली और सांस्कृतिक कलाकार द्वारा मार्ग में भजन‑कीर्तन, नृत्य, और रमणीय कार्यक्रम प्रस्तुत किए जायेंगे.
क्या है जगन्नाथ रथ यात्रा की मान्यता
स्कंद पुराण के अनुसार, माना जाता है कि जगत के पालनहार श्रीहरि जगन्नाथ हर साल अपनी रथ यात्रा के जरिए भक्तों को दर्शन देने और गुंडीचा मंदिर में विश्राम करने निकलते हैं. यह यात्रा चार धामों में से एक, पुरी में निकलती है. जगन्नाथ रथ यात्रा हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और प्रसिद्ध त्योहार है, जिसकी विशेष मान्यता ओडिशा के पुरी शहर में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी हुई है. यह उत्सव भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण का रूप), बलभद्र (भाई) और सुभद्रा (बहन) की रथों पर यात्रा का प्रतीक है. यह यात्रा पुरी स्थित श्रीमंदिर से गुंडिचा मंदिर तक होती है, जो भगवान की मौसी का घर माना जाता है. इसे मौसी के घर जाना कहा जाता है. यह यात्रा 9 दिनों की होती है.
गौड़ीय मठ: भक्ति व परंपरा की निकलेगी 92वीं रथयात्रा
मीठापुर स्थित श्री गौड़ीय मठ में इस वर्ष 92वीं रथयात्रा महोत्सव का आयोजन भक्तिभाव से किया जा रहा है. शाम पांच बजे भगवान श्री जगन्नाथ जी की मंदिर परिसर में परिक्रमा करायी जायेगी. रथ व मंदिर को भव्य फूलों से सजाया जायेगा. हरिनाम संकीर्तन मंडल कीर्तन करेगा, और 2000 भक्तों में बूंदी प्रसाद वितरित किया जायेगा. श्रीकृष्ण को नये वस्त्र और आभूषण पहनाये जायेंगे, तथा 56 भोग अर्पित होंगे. इस खास मौके पर मठ के अध्यक्ष श्रील भक्ति रसमय रस सार महाराज जी प्रवचन कर रथयात्रा की आध्यात्मिक महत्ता बतायेंगे. यह आयोजन भक्ति, सेवा और संस्कृति की प्रेरणादायी परंपरा का प्रतीक है.
गायघाट : चैतन्य मंदिर से शाम छह बजे निकलेगी झांकी
पटना सिटी के गायघाट स्थित श्रीमन् महाप्रभु विश्राम स्थली श्री चैतन्य मंदिर में श्री राधा रमण जी को शाम को 6 बजे से रथ पर विराजमान कराकर झांकी निकाली जाएगी. भव्य आरती होगी एवं भोग लगाया जाएगा. कीर्तन मंडली कीर्तन करेंगे. श्री धाम वृंदावन के राधा रमण जी की प्रतिकृति विग्रह पटना सिटी के इस स्थान पर सन् 1787 से विराजमान है और उसी समय से रथयात्रा के दिन श्री राधा रमण जी की रथ पर झांकी निकालने की परंपरा है. हरिनाम संकीर्तन मंडल शाम 6 बजे से कीर्तन करेगी सभी को प्रसाद वितरण किया जायेगा.
पटना सिटी: 13 दिनों तक मौसीबाड़ी में प्रवास करेंगे प्रभु
पटना सिटी के गोपीनाथ गली स्थित 130 वर्ष पुराने जगन्नाथ मंदिर में परंपरागत रूप से जेठ पूर्णिमा के दिन विशेष स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ बीमार हो गये थे. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दौरान भगवान विश्राम करते हैं और मंदिर के कपाट भक्तों के लिए बंद रहता है. अमावस्या के दिन भगवान को पथ्य रूप में खिचड़ी का भोग अर्पित किया जाता है. मंदिर के पुजारी आचार्य पंडित रामानंद पांडे और नौजर घाट स्थित मंदिर के पुजारी आचार्य विष्णुकांत झा ने बताया कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकम को भगवान स्वस्थ होते हैं, इसके अगले दिन भव्य रथयात्रा निकाली जाती है. इस वर्ष यह रथयात्रा 27 जून यानी आज शाम को निकाली जायेगी.
भगवान बलभद्र और सुभद्रा के साथ भगवान जगन्नाथ 13 दिनों तक मौसीबाड़ी में प्रवास करेंगे और गुरु पूर्णिमा, यानी 10 जुलाई को वापस लौटेंगे. यह परंपरा गोपीनाथ मंदिर में पिछले 110 वर्षों से निभाई जा रही है. नौजर घाट स्थित 215 वर्ष पुराने मंदिर में भी धार्मिक अनुष्ठान और शोभायात्रा का आयोजन होगा. मंदिर के इतिहास के अनुसार, 1810 में महारानी द्वारा ओडिशा से मूर्ति लाकर स्थापना की गयी थी और 1906 में ट्रस्ट बनाकर संपत्ति मंदिर को समर्पित की गयी थी.
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