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Maharani Textile: पटना की गलियों से डिजिटल दुनिया तक, ‘महारानी टेक्सटाइल’ की सफलता की कहानी

Maharani Textile: पटना की तंग गलियों से निकलकर अंजनी कुमारी ने ‘महारानी टेक्सटाइल’ की नींव रखी. सिलाई मशीन से शुरू हुआ उनका सफर आज सैकड़ों महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक और डिजिटल रूप से सशक्त बनाने वाली प्रेरणा बन गया है.

Maharani Textile: राजधानी पटना की तंग गलियों से निकलकर जब अंजनी कुमारी ने सिलाई मशीन संभाली थी, तब शायद उन्होंने भी नहीं सोचा था कि एक दिन उनका नाम बिहार की हज़ारों महिलाओं की उम्मीद बन जाएगा. आज उनका ब्रांड ‘महारानी टेक्सटाइल’ सिर्फ़ कपड़े नहीं सिल रहा, बल्कि आत्मनिर्भरता के नए धागे बुन रहा है.

नीतीश सरकार की नीतियों ने बदली तस्वीर

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दूरदर्शी सोच और महिला-केन्द्रित योजनाओं ने राज्य में महिलाओं के लिए अवसरों के नए द्वार खोले हैं. सरकारी नौकरी हो या स्टार्टअप महिलाओं को हर क्षेत्र में बढ़ावा मिल रहा है. जीविका समूह, डिजिटल साक्षरता और स्वयं सहायता मॉडल को विस्तार देने की नीति ने महिलाओं को सिर्फ़ आर्थिक नहीं, नेतृत्व के मंच भी दिए हैं. अंजनी कुमारी इसी परिवर्तन की जीवंत प्रतीक हैं.

एक सिलाई मशीन से लेकर महिला नेतृत्व तक का सफर

अक्तूबर 2023 में शुरू हुई ‘महारानी टेक्सटाइल’ ने कम समय में रेडीमेड गारमेंट इंडस्ट्री में पहचान बनाई. अंजनी ने न केवल खुद की पहचान रची, बल्कि यूट्यूब चैनल ‘Maharani Foundation’ के ज़रिए लाखों महिलाओं को डिज़ाइनिंग और बिजनेस मैनेजमेंट की ट्रेनिंग भी दी.

“मैंने देखा कि आसपास की कई महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार हैं. उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता चाहिए थी. वहीं से मेरी सोच बदली. मैंने उन्हें काम देना शुरू किया और आज वे महिलाएं अपने घर की रीढ़ बन चुकी हैं.”
— अंजनी कुमारी, संस्थापक, महारानी टेक्सटाइल

ESKO रिपोर्ट में मिली राष्ट्रीय मान्यता

Entrepreneurial Skill and Knowledge Orientation (ESKO) की हालिया रिपोर्ट में ‘महारानी टेक्सटाइल’ को वित्तीय नवाचार, डिजिटल अपनापन और नेतृत्व क्षमता का उत्कृष्ट मॉडल बताया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, यह स्टार्टअप महिला उद्यमिता को ज़मीनी स्तर पर सशक्त बना रहा है.

“यह सिर्फ़ एक व्यवसाय नहीं, बल्कि एक क्रांति है जो आत्मनिर्भर महिलाओं की नई पीढ़ी तैयार कर रही है।”
— विशेषज्ञ, ESKO रिपोर्ट

नीतियों का असर, ज़मीनी बदलाव

अंजनी का मानना है कि बिहार सरकार की योजनाओं जैसे ऋण सुविधा, महिला प्रशिक्षण केंद्र और डिजिटल मंच ने उन्हें वह ताकत दी जिससे वे एक छोटे व्यवसाय को बड़ा आंदोलन बना सकीं. स्वयं सहायता समूहों से सीखकर उन्होंने अपने संगठन की नींव रखी और आज उनके साथ काम करने वाली महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर हैं, बल्कि समाज में सम्मान और नेतृत्व की भूमिका निभा रही हैं.

बदलता समाज, नया आत्मविश्वास

जो महिलाएं कभी केवल घरेलू कामों तक सीमित थीं, वे आज दर्ज़ी, डिज़ाइनर, ट्रेनर और बिजनेस मैनेजर के रूप में उभर रही हैं. यह सिर्फ़ आर्थिक बदलाव नहीं, सामाजिक मानसिकता में आए बदलाव की भी कहानी है. अंजनी कुमारी जैसे चेहरे आज बिहार में महिला सशक्तिकरण की सबसे प्रामाणिक मिसाल बन चुके हैं.

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बिहार की गलियों से देशभर में गूंजती आवाज

‘महारानी टेक्सटाइल’ अब केवल पटना तक सीमित नहीं है. यह आंदोलन बन चुका है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नीतियों के चलते अब यह प्रेरणा दूर-दराज़ के गांवों तक पहुंच रही है, जहां महिलाएं अपने सपनों को आकार देने लगी हैं.

Anshuman Parashar
Anshuman Parashar
मैं अंशुमान पराशर पिछले एक वर्ष से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल बिहार टीम से जुड़ा हूं. बिहार से जुड़े सामाजिक, राजनीतिक, अपराध और जनसरोकार के विषयों पर लिखने में विशेष रुचि रखता हूं. तथ्यों की प्रमाणिकता और स्पष्ट प्रस्तुति को प्राथमिकता देता हूं.

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