Operation Sindoor: भारत ने हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले का करारा जवाब देते हुए पाकिस्तान में ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक किया. इस कार्रवाई के बाद देशभर में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया, जिसका असर बिहार में भी साफ दिखा. पटना समेत राज्य के छह शहरों में ब्लैकआउट एक्सरसाइज आयोजित की गई, जिसमें आम लोगों को सिखाया गया कि हवाई हमले के समय किस तरह की तैयारी जरूरी होती है.
पटना में बुज़ुर्गों की आंखें भर आईं, बोले ऐसा ही था 1962 और 1971 का डर
पटना के वरिष्ठ नागरिकों ने इस ड्रिल के दौरान अतीत की यादें साझा कीं. पंजाबी बरादरी के पूर्व अध्यक्ष सरदार गुरदयाल सिंह ने बताया, “1962 में जब चीन ने हमला किया था, तब हम पहली बार ब्लैकआउट देखे थे. पूरा शहर अंधेरे में डूब जाता था. उसी तरह 1965 और 1971 के युद्धों में भी पटना में ब्लैकआउट और मॉक ड्रिल होती थी.”
उन्होंने बताया कि उस समय NCC की ट्रेनिंग अनिवार्य हो गई थी और लोग हथियार चलाने से लेकर प्राथमिक चिकित्सा तक सीखते थे. बुज़ुर्गों के अनुसार, ब्लैकआउट के दौरान शहर में सायरन बजता था और पूरे इलाके की बिजली काट दी जाती थी.
इतिहासकारों ने भी की पुष्टि, बोले—उस दौर में रेडियो ही एकमात्र सहारा था
पटना विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. कामेश्वर प्रसाद ने बताया, “1971 के भारत-पाक युद्ध में पूरे बिहार में सन्नाटा छा जाता था. लोग रेडियो पर कान लगाए रहते थे. ब्लैकआउट उस समय एक जरूरी सैन्य रणनीति थी, जिससे दुश्मन को निशाना तय करने में कठिनाई होती थी.”
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नई पीढ़ी के लिए सबक, राज्य स्तर पर तैयारी जरूरी
हाल की मॉक ड्रिल न सिर्फ एक रूटीन अभ्यास थी, बल्कि आने वाले समय में सुरक्षा के लिहाज से बिहार को सजग बनाने की एक गंभीर पहल भी थी. विशेषज्ञ मानते हैं कि जिस तरह के हालात इस वक्त सीमा पर हैं, ऐसे में राज्यों को स्थानीय स्तर पर सिविल डिफेंस सिस्टम को फिर से सक्रिय करना चाहिए.