प्रह्लाद कुमार/ Patna High Court: पटना हाईकोर्ट ने सोमवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि तीन बार तलाक कह देने से तलाक नहीं माना जायेगा. क्योंकि इस मामले को पूरी कहानी काल्पनिक और मनगढ़त प्रतीत होती हैं. इतना ही नहीं आगे कहा कि निकाह के दौरान तय दैन मेहर की राशि का पूर्ण भुगतान नहीं किया गया. न्यायमूर्ति पीबी बजन्थरी और न्यायमूर्ति शशिभूषण प्रसाद सिंह की खंडपीठ ने शम्स तबरेज की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद तीन बार तलाक कहने को नामंजूर करते हुए याचिका को खारिज कर दिया. गौरतलब है कि शम्स तबरेज ने मुस्लिम कानून की धारा 308 और पारिवार न्यायालय कानून की धारा 7(1)(ए) के तहत पत्नी इसरत जहां के खिलाफ 29 अकटुबर 2007 को मुकदमा दायर किया था .
बेतिया के एक मामले में हाइकोर्ट ने दिये आदेश
दायर याचिका में कहा गया था कि दोनों की निकाह 12 जनवरी 2000 को हुई थी और वे शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन जीने लगे . विवाह से दो बेटे अब्दुल्ला और वलीउल्लाह पैदा हुए. कुछ समय बाद पत्नी झगड़ालू महिला के रूप में सामने आई और हमेशा अपने पैतृक घर पर रहने लगी. अपीलार्थी एक गरीब व्यक्ति है जो जूते की दुकान पर सेल्समैन का काम करता है, जबकि पत्नी के माता-पिता आर्थिक रूप से संपन्न हैं. याचिका में यह भी कहा गया है कि आवेदक ने मामले को शांत करने की पूरी कोशिश की, लेकिन उसके सारे प्रयास बेकार गए. अंततः आवेदक ने बेतिया के दारुल कजा में एक मामला दायर किया और दारुल कजा ने पत्नी को उसके ससुराल में रहने का आदेश दिया. लेकिन ससुराल में 15 दिन रहने के बाद अपने भाइयों के साथ वापस पैतृक घर चली गई तब से वह अपने पैतृक घर में रह रही है .
जानें पूरा मामला
याचिकाकर्ता ने मुस्लिम कानून की धारा 281 के तहत वैवाहिक मामला संख्या 03/2007 भी दायर किया, लेकिन सिविल कोर्ट के आदेश के बावजूद पत्नी अपने भाइयों के साथ अपने माता-पिता के घर चली गई और अदालत के आदेश की अवहेलना की . पत्नी के भाइयों के हस्तक्षेप के कारण, स्थिति इतनी तनावपूर्ण और कटु हो गई कि याचिकाकर्ता ने पत्नी को तीन बार “तलाक” कहने का फैसला किया. थक हार कर उसने पत्नी से तलाक लेने का फैसला किया और कुछ गवाहों की उपस्थिति में आठ अकटूबर 2007 को तीन बार तलाक कह वैवाहिक संबंध विच्छेद कर लिया. उसने पत्नी को “दिन मेहर” की पूरी राशि और “इद्दत” का खर्च भी चुका दिया. वही पत्नी का कहना था कि वह अभी भी कानूनी रूप से विवाहित पत्नी है और उसका कभी तलाक नहीं हुआ . वह याचिकाकर्ता के साथ शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन जीने के लिए तैयार है, लेकिन उसका पति अपनी पत्नी के साथ वैवाहिक संबंध जारी नहीं रखना चाहता है.