Sawan 2025: सावन का पावन महीना इस वर्ष शुक्रवार से आरंभ हो रहा है और इसके साथ ही बिहार के सासाराम स्थित पूर्वोत्तर ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मंदिर एक बार फिर आस्था, भक्ति और संस्कृति के केंद्र बिंदु में आ गया है. धार्मिक महत्व और सांस्कृतिक विरासत से परिपूर्ण यह स्थल कम समय में ही श्रद्धालुओं की पहली पसंद बन गया है.
शिवलिंग से लेकर बुद्ध प्रतिमा तक: एक आध्यात्मिक अनुभव
सासाराम शहर के पूर्वी छोर पर, एसपी जैन कॉलेज के पास स्थित महायोगी पायलट बाबा धाम परिसर में बना यह मंदिर न सिर्फ भव्यता में अद्वितीय है, बल्कि धार्मिक विविधता का अद्भुत संगम भी है. यहां ढ़ाई फीट ऊंची स्फटिक की शिवलिंग, 111 फीट ऊंची भगवान शिव की प्रतिमा, 85 फीट ऊंची महात्मा बुद्ध की प्रतिमा और 30 फीट ऊंचे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की प्रतिमा एक साथ श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति का अहसास कराती हैं.
इतिहास और विरासत से जुड़ी मान्यताएं
ऐसा माना जाता है कि ज्ञान की खोज में निकले गौतम बुद्ध ने बोधगया से सारनाथ जाते वक्त सासाराम में कुछ समय के लिए विश्राम किया था. धाम से कुछ दूरी पर कैमूर पहाड़ी की चोटी पर स्थित सम्राट अशोक का लघु शिलालेख भी इस क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करता है.
दुर्लभ है अघोरेश्वर महादेव के दर्शन
सोमनाथ मंदिर के बगल स्थित अघोरेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित काले पत्थर की पांच फीट ऊंची शिवलिंग के दर्शन साल में केवल दो बार- सावन और महाशिवरात्रि के अवसर पर होते हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि सिर्फ भाग्यशाली लोग ही अघोरेश्वर के दर्शन कर पाते हैं.
धाम की शुरुआत और नेतृत्व
धाम की नींव 2004 में नोखा के विशुनपुरा गांव निवासी पूर्व वायुसेना अधिकारी कपिल सिंह, जिन्हें लोग पायलट बाबा के नाम से जानते हैं, द्वारा रखी गई थी. दो दशकों में यह धाम सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार का केंद्र बन गया है. धाम समिति के अध्यक्ष पूर्व एमएलसी कृष्ण कुमार सिंह और अन्य पदाधिकारियों के नेतृत्व में यहां लगातार धार्मिक गतिविधियों का विस्तार हो रहा है.
आज यह धाम न केवल भारत के कोने-कोने से श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहा है, बल्कि जर्मनी जैसे देशों से भी विदेशी भक्त यहां आकर आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव कर रहे हैं. सावन में यहां का जलाभिषेक, शिव आराधना और धार्मिक आयोजन श्रद्धा और भक्ति का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है.
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