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Bhagalpur: 38 करोड़ का आलू हर माह खा जा रहे भागलपुर के लोग, बंगाल और यूपी से भी खरीदे जाते हैं आलू

Bhagalpur: राज्य सरकार के कृषि और बागवानी विभागों के आंकड़े बताते हैं कि भागलपुर जिले में सालाना एक लाख, 60 हजार मीट्रिक टन आलू का उत्पादन होता है. जिले के कहलगांव, सबौर, नाथनगर, पीरपैंती, गोराडीह, शाहकुंड, सन्हौला, नवगछिया व आसपास के प्रखंडों में आलू का उत्पादन होता है.

Bhagalpur, दीपक राव: आलू को अक्सर सभी सब्जियों के साथ मिक्स करके व्यंजन बनाया जा सकता है. आलू बच्चों से लेकर सभी उम्र के लोगों व सभी वर्ग के आम से खास लोगों की पसंद है. इसलिए आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है. भागलपुर वासियों को भी आलू काफी पसंद है. रोजाना एक से सवा करोड़ का आलू यहां के लोग खा जाते हैं, तो हरेक माह 38 करोड़ का आलू यहां के लोग खा रहे हैं. चाहे सब्जी के रूप में हो, चिप्स के रूप में हो या अन्य व्यंजन के रूप में ही क्यों नहीं. 

बंगाल व यूपी से भी खरीदे जाते हैं आलू 

राज्य सरकार के कृषि और बागवानी विभागों के आंकड़े बताते हैं कि भागलपुर जिले में सालाना एक लाख, 60 हजार मीट्रिक टन आलू का उत्पादन होता है. जिले के कहलगांव, सबौर, नाथनगर, पीरपैंती, गोराडीह, शाहकुंड, सन्हौला, नवगछिया व आसपास के प्रखंडों में आलू का उत्पादन होता है. इसके अलावा आलू की मांग भागलपुर में अधिक होने के कारण यहां उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल से सस्ते दरों पर आलू की आपूर्ति की जाती है.

आलू के कई क्वालिटी साफ-सुथरे, तो कई लगे होती है मिट्टी

आलू कारोबारियों की मानें तो आगरा से आने वाले एक क्विंटल के पैकेट में दो से तीन किलो तक खराब हो जाता है, जबकि बंगाल के आलू में कोई खराबी नहीं रहती. वहीं, लोकल आलू सबसे साफ व उजला आलू होता है. बंगाल के आलू में लाल मिट्टी लगी होती है. उत्तरप्रदेश का आलू थोड़ा बड़ा होता है. इसमें सड़ने व गलने की अधिक शिकायत होती है.

चिप्स, पापड़ समेत आलू के प्रोडक्ट से होता है 20 लाख का कारोबार

महिला उद्यमियों की मानें तो आलू के प्रोडक्ट के लिए कोई बड़ा उद्योग नहीं है, लेकिन घरेलू बाजार में बिकने वाला आलू चिप्स, आलू पापड़, आलू भुजिया को तैयार करने में जिलेभर की 200 महिलाएं अलग-अलग लगी हैं. छोटी-छोटी स्वयं सहायता समूह बनाकर काम कर रही हैं. एक स्वयं सहायता समूह प्रतिमाह आठ से 10 हजार रुपये आलू प्रोडक्ट बेचकर कमा रही हैं. 200 महिलाएं औसत 15 से 20 लाख का कारोबार करती हैं. मारवाड़ी समाज की महिलाएं आलू पापड़, आलू भुजिया बना कर दुकानों में सप्लाई कर रही हैं.

सब्जी के साथ फलाहार में भी होता है इस्तेमाल

आलू का उपयोग सब्जियों के अलावा फलाहार में भी होता है. चाहे सावन के समय हो या नवरात्र के समय, महिलाएं शकरकंद, आलू के साथ अन्य फलों को ग्रहण करती हैं. आलू का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर रेस्टोरेंट व भोजनालयों में समोसा, आलू बाड़ा, आलू चाॅप आदि व्यंजनों को लोग काफी पसंद करते हैं.

कहते हैं व्यवसायी

भागलपुर में आलू की आपूर्ति लोकल में कहलगांव-पीरपैंती, उत्तर प्रदेश के आगरा, सहारनपुर से, तो पश्चिम बंगाल के वर्धमान, मुर्शिदाबाद से आते हैं. इसके अलावा झारखंड के हंसडीहा से भी आलू आता है. प्रतिदिन पांच ट्रक आलू भागलपुर शहरी क्षेत्र में आता है. इससे 12 से 15 लाख तक का कारोबार होता है.

छोटेलाल कुमार, थोक आलू कारोबारी

भागलपुर जिले में 25 ट्रक आलू की खपत प्रतिदिन है. नवगछिया, कहलगांव, पीरपैंती, सुल्तानगंज व भागलपुर में एक से सवा करोड़ का प्रतिदिन आलू का कारोबार हो रहा है. यही महंगाई बढ़ने पर डेढ़ करोड़ का कारोबार हो जाता है. भागलपुर में कोई बड़ा आलू का प्रोडक्ट तैयार करने का उद्योग नहीं है.

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अश्विनी कुमार साह उर्फ गुड्डू, थोक आलू कारोबारी

आलू का चिप्स, पापड़ आदि प्रोडक्ट तैयार करा कर महिलाओं को रोजगार प्रदान कर रहे हैं. पांच किलो आलू से एक किलो चिप्स तैयार हो जाता है. प्रतिमाह 25 से 30 किलो तक चिप्स बिक जाते हैं. आलू पापड़ की भी डिमांड है. भागलपुर के सबौर, कहलगांव, मुंदीचक, सिकंदरपुर, नया बाजार, नवगछिया, नाथनगर, गोराडीह आदि में महिलाएं आलू चिप्स व अन्य प्रोडक्ट के जरिये फूड प्रोसेसिंग उद्यम को बढ़ावा दे रही हैं. (प्रिया सोनी, महिला उद्यमी)

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Prashant Tiwari
Prashant Tiwari
प्रशांत तिवारी डिजिटल माध्यम में पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में एक्टिव हैं. करियर की शुरुआत पंजाब केसरी से करके राजस्थान पत्रिका होते हुए फिलहाल प्रभात खबर डिजिटल के बिहार टीम तक पहुंचे हैं, देश और राज्य की राजनीति में गहरी दिलचस्पी रखते हैं. साथ ही अभी पत्रकारिता की बारीकियों को सीखने में जुटे हुए हैं.

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