Bihar Politics : साल के आखिरी में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में अब पोस्टर वॉर शुरू हो गया है. राजधानी पटना में बुधवार को पोस्टर के जरिए राजद के शासनकाल में धार्मिक उन्माद से तनाव फैलाने का आरोप लगाते हुए निशाना साधा गया. पटना की सड़कों के किनारे लगे इस पोस्टर में एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तस्वीर है, जबकि दूसरी तरफ लालू यादव की तस्वीर है. पोस्टर में मोटे अक्षरों में लिखा गया है, “एकता की रोशनी, नफरत की हार, शांति और सद्भाव का बिहार”, “अमन-चैन की चले बयार, जब नीतीश की है सरकार”
किसने लगाया पोस्टर इसका जिक्र नहीं
यह पोस्टर किसने लगाए हैं, इसका जिक्र पोस्टर में नहीं किया गया है. वैसे यह कोई पहला मौका नहीं है, जब राजनीतिक दलों ने पोस्टर के जरिए विरोधियों पर निशाना साधा है. इसके पहले भी राजनीतिक दल पोस्टर के जरिए सियासी हमला बोलते रहे हैं. इस पोस्टर में राजद के शासनकाल की कई घटनाओं का जिक्र किया गया है. इसमें लिखा गया है कि सासाराम में धार्मिक उन्माद फैलाया गया, परिणामस्वरूप दंगा भड़का. अक्टूबर 1992 में सीतामढ़ी दंगा में धार्मिक उन्माद फैलाया गया, परिणामस्वरूप दंगा भड़का, जिसमें कुल 44 लोगों की मौतें हुई.
पोस्टर में बताया कब-कब भड़की हिंसा
इसके अलावा पोस्टर में 10 जुलाई 1995 को पलामू और डाल्टनगंज दंगा, धार्मिक उन्माद फैलाया गया, परिणामस्वरूप दंगा भड़का, जिसमें 4 लोगों की मौतें हुईं। इसके बाद 1996 के भागलपुर, अररिया, समस्तीपुर एवं दरभंगा में धार्मिक उन्माद फैलाया गया, जिसके कारण दंगा भड़का था। इसके अलावा भी कई घटनाओं का जिक्र किया गया है.
बिहार की ताजा खबरों के लिए यहां क्लिक करें
जनता सच जानना चाहती है : JDU
जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि किसने पोस्टर लगाया, ये मायने नहीं रखता. मायने ये रखता है कि बिहार की जनता सच जानना चाहती है. दंगा, दहशत और डर का राज, यही था लालू यादव का अंदाज. 12 धार्मिक दंगे और सैकड़ों बेगुनाह मारे गए. इन 12 दंगों में गुनहगारों पर क्या कार्रवाई हुई, तेजस्वी यादव जवाब दीजिए. उनका गुनहगार कौन है.
इसे भी पढ़ें : IPS काम्या मिश्रा का इस्तीफा मोदी सरकार ने किया मंजूर, लेडी सिंघम के नाम से हैं मशहूर