धमदाहा. मिथिलांचल की नवविवाहिताओ के लिए मधुश्रावणी व्रत कथा का समापन रविवार को टेमी से हुआ. यह व्रत सावन महीने के कृष्ण पक्ष की पंचमी से शुरू हुआ और शुक्ल पक्ष की तृतीया तक चला. पौराणिक कथाओं के अनुसार,देवी पार्वती ने सबसे पहले मधुश्रावणी व्रत रखा था, जिससे उन्हें हर जन्म में भगवान शिव पति के रूप में मिले. यह व्रत नवविवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है. पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखा जाता है. मिथिलांचल की संस्कृति और परंपरा का अभिन्न अंग है. व्रत के अंतिम दिन नवविवाहिताओं ने अपने पति के साथ पूजा की और फिर पति-पत्नी ने एक-दूसरे की आंखें पान के पत्ते से बंद किये.
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