सहरसा. ब्रज किशोर ज्योतिष संस्थान संस्थापक ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा जी ने कहा कि आषाढ़ मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का आरंभ होता है. इस साल आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 26 जून गुरुवार से शुरु हो रहा है व पांच जुलाई को विजयादशमी होगा. धार्मिक व आध्यात्मिक दृष्टि से आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का बड़ा ही महत्व है. ज्ञात हो कि वर्ष में आदि शक्ति मां भगवती की उपासना के लिए चार नवरात्रि आती है. इसमें दो गुप्त व दो उदय नवरात्रि होती है. चैत्र व अश्विन मास की नवरात्रि उदय नवरात्रि के नाम से जानी जाती है. आषाढ़ एवं माघ की नवरात्रि गुप्त नवरात्रि के नाम से जानी जाती है. मान्यता के अनुसार गुप्त नवरात्रि के दौरान अन्य नवरात्रि की तरह ही पूजन करने का विधान है. इन दिनों भी नौ दिन के उपवास का संकल्प लेते प्रतिपदा से नवमीं तक प्रतिदिन सुबह, शाम मां दुर्गा की आराधना करनी चाहिए. इन नवरात्रि में 10 महाविद्याओं का पूजन होता है. यह नवरात्रि तंत्र साधना के लिए बहुत अधिक महत्व रखती है. उन्होंने कहा कि गुप्त नवरात्रि किसी खास मनोकामना के लिए तंत्र साधना के लिए विशिष्ट पर्व है. लेकिन अन्य नवरात्रि की तरह ही इसमें भी व्रत-पूजा, पाठ, किया जाता है. इस दौरान साधक देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के अनेक उपाय करते हैं. इसमें दुर्गा सप्तशती पाठ, दुर्गा चालीसा, दुर्गा सहस्त्रनाम का पाठ काफी लाभदायक माना गया है. यह नवरात्रि धन, संतान सुख के साथ शत्रु से मुक्ति दिलाने में कारगर है.
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