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क्या है नीरा? जो शराबबंदी के बाद बिहार में बदल रही जीविका दीदियों की किस्मत

नीरा एक प्राकृतिक पेय के साथ ही स्वास्थ्य वर्धक भी है. जिसका कारोबार कर कई जीविका दीदी अच्छी कमाई कर रही हैं और अपनी किस्मत बदल रही हैं.

शराबबंदी एवं ताड़ी की बिक्री पर पूर्ण रूप से लगायी गयी पाबंदी के बाद नीरा के कारोबार से जुड़कर जीविका दीदियां अपनी किस्मत बदल रही है. सहरसा जिले में कुल 25 नीरा उत्पादक समूह खोला जा चुका है. इन उत्पादक समूहों से लगभग 490 सदस्य नीरा उत्पादन के लिए जुड़ी हुई हैं. जिला में 25 से अधिक नीरा संग्रहण सह बिक्री केंद्र बनाये गये हैं. इन बिक्री केंद्रों द्वारा अबतक 50 हजार लीटर से अधिक मात्रा में नीरा का विक्रय किया जा चुका है.

नीरा प्राकृतिक पेय के साथ है स्वास्थ्य वर्धक

जीविका के जिला परियोजना प्रबंधक अमित कुमार ने कहा कि ताड़ एवं खजूर के पेड़ से जो ताजा रस निकलता है, उसे नीरा कहते हैं. इसमें 84 फीसदी पानी के अलावा कैल्शियम, पोटेशियम, फॉस्फोरस, आयरन, जिंक, विटामिन बी, विटामिन बी कॉम्पलेक्स जैसे कई पोषक तत्व होते हैं. जो शरीर को बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं.

नीरा का लाभ बताते उन्होंने कहा कि नीरा न केवल एक प्राकृतिक पेय है. बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी भी है. नीरा के सेवन से डिहाइड्रेशन, कमजोरी एवं कई अन्य बीमारियों में लाभ मिलता है. इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन एवं खनिज पाया जाता है. यह शरीर के लिए काफी फायदेमंद है. नीरा डायबिटीज एवं एनीमिया के मरीज के लिए काफी लाभकारी है.

नीरा व्यवसायी हो रहे लाभान्वित

जीविका के कृषि प्रबंधक आशीष कुमार ने बताया कि शहर के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी नीरा की बिक्री जीविका दीदियों ने प्रारंभ कर दी है. नीरा सेवन से लोगों को अनेकों फायदा मिलने के साथ नीरा व्यवसायियों को अच्छा मुनाफा भी हो रहा है. उन्होंने बताया कि नीरा के निष्कर्षण में विशेष सतर्कता की आवश्यकता होती है. इसे सूर्योदय से पहले पेड़ से निकाला जाता है एवं इसमें कोल्डचेन बनाये रखना आवश्यक होता है.

लोगों को पौष्टिक पेय हो रहा उपलब्ध

संचार प्रबंधक सुधा दास ने बताया कि नीरा से बनी मिठाइयां, गुड़ लोगों को खूब पसंद आ रहा है. जिले में नीरा का फायदा बताते हुए नीरा व नीरा से निर्मित उत्पादों के उपयोग व उत्पादन को लेकर लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. नीरा के प्रति ग्राहक भी अपनी खास रुचि दिखा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसमें रोजगार की अपार संभावनाएं हैं. ताड़-खजूर के पेड़ से जुड़े कई उत्पाद झाड़ू, पंखा, मौनी बनाकर इससे बेहतर आमदनी भी किया जा रहा है. यह पहल ना केवल शराबबंदी के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है. बल्कि ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है.

नीरा उत्पादन ने महिलाओं को नए रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं. उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. जिले में नीरा का कारोबार एक सफल मॉडल के रूप में उभर रहा है. जो अन्य जिलों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन सकता है. नीरा का उत्पादन एवं बिक्री ना केवल आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रहा है. बल्कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी बढ़ा रहा है.

नीरा का व्यवसाय जिले में एक महत्वपूर्ण आर्थिक एवं स्वास्थ्य सुधार का माध्यम बन गया है. जिससे ना केवल महिलाओं को रोजगार मिल रहा है. बल्कि स्थानीय लोगों को भी एक पौष्टिक पेय उपलब्ध हो रहा है. यह पहल आर्थिक विकास एवं स्वास्थ्य संवर्धन दोनों ही दृष्टिकोणों से सफल साबित हो रहा है.

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Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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