सहरसा. जिले के सौरबाजार निवासी मनिकया देवी की कहानी साहस व आत्मनिर्भरता का प्रतीक है. शादी के बाद उनका जीवन सामान्य चल रहा था. उनके पति- सिताराम साह मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे. लेकिन एक दुर्घटना ने उनके जीवन को पूरी तरह बदल दिया. मजदूरी के दौरान बिल्डिंग से गिरने के कारण उनके पति गंभीर रूप से घायल हो गये. इलाज के लिए उन्होंने कर्ज लिया लेकिन आर्थिक स्थिति खराब होती चली गयी. पति के काम करने में असमर्थ होने पर मनिकया देवी ने दूसरे के खेतों में मजदूरी कर किसी तरह अपने परिवार का भरण-पोषण किया. तीनों बेटियों की शादी करना उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी. कठिन परिस्थितियों के बीच मनिकया देवी को ग्राम संगठन के माध्यम से जीविका से जोड़ा गया. मनषा जीविका स्वयं सहायता समूह के साथ जुड़ने के बाद उन्होंने समूह से कम ब्याज पर ऋण लेकर अपनी जिंदगी में बदलाव लाना शुरू किया. मनिकया देवी को सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत एसईएफ की राशि मिली. इस राशि से उन्होंने एक बकरी खरीदी व बकरी पालन शुरू किया. इसके बाद उन्हें एलईएफ की पहली किस्त के तहत मदद मिली. जिससे उन्होंने बकरी पालन का विस्तार किया व खेती बाड़ी शुरू की. फिर एलजीएफ की राशि से उन्होंने बकरी पालन के लिए एक शेड बनवाया व अपने काम को व्यवस्थित किया. वर्तमान में उनके पास आठ बकरियां व एक गाय है. जिनसे उन्हें अच्छी आय हो रही है. आज मनिकया देवी आत्मनिर्भर है. उनके पास खेती, बकरी पालन व पशुपालन के माध्यम से स्थिर आय का स्रोत है. अब वह अपने जीवन को बेहतर बना रही है व किसी पर निर्भर नहीं हैं. मनिकया देवी ने कहा कि जीविका ने उन्हें नई उम्मीद दी है. अब वह आत्मनिर्भर है व खुशहाल जीवन जी रही है.
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