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रेलवे लोगों की मांग को कर रहा अनसुनी, रात्रिकालीन ट्रेन हर वर्ग के लोगों की है जरूरत

उतरी बिहार का प्रमुख रेल केंद्रों में सहरसा जंक्शन अपना स्थान रखता है. यहां से रोजाना हजारों यात्रियों की आवाजाही होती है.

सहरसा. उतरी बिहार का प्रमुख रेल केंद्रों में सहरसा जंक्शन अपना स्थान रखता है. यहां से रोजाना हजारों यात्रियों की आवाजाही होती है. यह स्टेशन ना केवल सहरसा जिले बल्कि मधेपुरा, सुपौल, खगड़िया व सीमावर्ती नेपाल क्षेत्र के लोगों के लिए भी अहम है. यहां से राजधानी पटना, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई सहित देश के कई बड़े शहरों के लिए ट्रेनें संचालित होती है, लेकिन एक महत्वपूर्ण कमी आज भी यहां के लोगों को भारी पड़ रही है. वह है पटना से सहरसा के लिए रात्रि में चलने वाली कोई ट्रेन नहीं है. जहां एक ओर सहरसा से पटना जाने के लिए रात्रि में जनहित एक्सप्रेस जैसी ट्रेन की सुविधा उपलब्ध है. वहीं पटना से सहरसा आने वाले यात्रियों को रात्रि में कोई ट्रेन नहीं मिलती है. इस कारण सैकड़ों मरीज, व्यवसायी, विद्यार्थी व आम लोग जो पटना में इलाज, व्यापार या शिक्षा के सिलसिले में दिनभर व्यस्त रहते हैं उन्हें देर रात बस या निजी साधनों से जोखिम उठाकर सहरसा आना पड़ता है. रात्रि में ट्रेन नहीं होने के कारण यात्रियों को पटना रेलवे स्टेशन पर पूरी रात इंतजार करना पड़ता है या फिर मन मारकर अगली सुबह ट्रेन का सहारा लेना पड़ता है. वहीं जो लोग जल्द सहरसा लौटना चाहते हैं उन्हें मजबूरी में टैक्सी या बस का सहारा लेना पड़ता है. जिससे ना सिर्फ अधिक किराया देना पड़ता है. बल्कि सड़क मार्ग की असुरक्षा भी उन्हें डराती रहती है, जबकि सहरसा सहित कोसी क्षेत्र के लोग इलाज के लिए बड़ी संख्या में पटना के पीएमसीएच, आईजीआईएमएस, एम्स, एनएमसीएच जैसे बड़े अस्पतालों का रुख करते हैं. कई मरीजों की नियमित जांच व इलाज पटना में चलता है. ऐसे में जब सारा कामकाज दिनभर चलता है तो रात में घर लौटना अनिवार्य हो जाता है. लेकिन ट्रेन नहीं होने के कारण उन्हें भारी परेशानी होती है. कहते हैं लोग प्राध्यापक डॉ रामानंद रमण ने कहा कि पटना में इलाज कराने के बाद रात में सहरसा लौटना जरूरी होता है, लेकिन ट्रेन नहीं होने से मजबूरी में सड़क मार्ग से आना पड़ता है. बच्चों व बुजुर्गों के साथ यह सफर बेहद जोखिम भरा होता है. फोटो – सहरसा 01- प्राध्यापक डॉ रामानंद रमण रंगकर्मी रमेश कुमार पासवान ने कहा कि पटना से सहरसा के लिए रात्रिकालीन ट्रेन होती तो महिलाएं भी सुरक्षित तरीके से यात्रा कर सकती थी. अभी तो मजबूरी में बस पकड़ना पड़ता है या स्टेशन पर रात बितानी पड़ती है फोटो – सहरसा 02- रंगकर्मी रमेश कुमार पासवान व्यवसायी सनोज कुमार ने कहा कि व्यापार के सिलसिले में रोज पटना आना-जाना होता है. रात की ट्रेन होती तो पटना में रुकने की बजाय घर लौट पाते. समय व खर्च दोनों की बचत होती. परिवार व बच्चों को भी अधिक समय दे पाता. फोटो – सहरसा 03- व्यवसायी सनोज कुमार शिक्षक अनिल कुमार ने कहा कि यह कोई लग्जरी मांग नहीं है. यह ज़रूरत है सहरसा जैसे प्रमुख जंक्शन को रात में पटना से जोड़ना. यह रेल प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए. जिससे लोग रात्रि में ट्रेन पकड़कर घर वापस आ सके. फोटो – सहरसा 04- शिक्षक अनिल कुमार छात्रा कीर्ति आनंद ने कहा कि कई बार होस्टल की छुट्टी पर घर जाने का मन होता है, लेकिन रात की ट्रेन नहीं होने से मजबूरी में एक दिन का वेट करना पड़ता है. छुट्टियों का मजा ही किरकिरा हो जाता है. फोटो – सहरसा 05- छात्रा कीर्ति आनंद माले नेता कुंदन कुमार ने कहा कि रात्रि ट्रेन के लिए रेल प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा है. सहरसा से राजधानी तक रात्रिकालीन आवागमन आवश्यक है. यह मांग वर्षों पुरानी है. अब तो रेलवे को इसे सुनना चाहिए. फोटो – सहरसा 06- माले नेता कुंदन कुमार ट्रेवल एजेंट संतोष कुमार संत ने कहा कि रात में ट्रेन नहीं होने से लोग टैक्सी करते हैं, लेकिन सभी यात्री दो से तीन हजार रुपये देने की स्थिति में नहीं होते. बस भी रात में बहुत असुरक्षित है. रास्ते में भी अनहोनी की आशंका रहती है. फोटो – सहरसा 07- ट्रेवल एजेंट संतोष कुमार संत शिक्षक प्रमोद आनंद ने कहा कि नई ट्रेन शुरू करना संभव नहीं है तो कटिहार या जोगबनी जाने वाली किसी ट्रेन को सहरसा रूट से निकाला जाए या इंटरसिटी ट्रेन का परिचालन रात में किया जाये. रेलवे के पास विकल्प मौजूद है. फोटो – सहरसा 08- शिक्षक प्रमोद आनंद

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