महिला संवाद कार्यक्रम नारी सशक्तिकरण व सामाजिक चेतना का बना प्रतीक सहरसा . जिले में चल रहे महिला संवाद कार्यक्रम ने नारी सशक्तिकरण एवं सामाजिक चेतना का एक मजबूत मंच प्रदान किया है. इस कार्यक्रम के जरिए महिलाएं ना केवल अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो रही हैं. बल्कि सामाजिक कुरीतियों एवं सांस्कृतिक पतन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रही है. कार्यक्रम के दौरान, सौरबाजार प्रखंड के रौता खेम पंचायत स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में आयोजित संवाद में महिलाओं ने भोजपुरी अश्लील गानों व डीजे संस्कृति के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया. महिलाओं का कहना था कि ऐसे गीत ना केवल सामाजिक माहौल को दूषित कर रहे हैं. बल्कि नई पीढ़ी के संस्कारों पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं. गीता देवी ने स्पष्ट रूप से कहा कि भोजपुरी अश्लील गानों के कारण बिहार की छवि खराब हो रही है. सार्वजनिक आयोजनों में इन गानों के तेज़ आवाज़ में बजने से ग्रामीण शांति भंग होती है व कई बार विवाद व हिंसा की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. उन्होंने सरकार से मांग किया कि ऐसे गानों के लेखकों, गायकों एवं म्यूजिक कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए और सार्वजनिक आयोजनों में डीजे बजाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाय. महिला संवाद कार्यक्रम में शामिल महिलाओं ने घरेलू हिंसा, बाल विवाह, दहेज प्रथा, शराबबंदी की कमजोर क्रियान्वयन व्यवस्था एवं महिला शिक्षा में असमानता जैसे गंभीर मुद्दों पर भी चर्चा की. कई महिलाओं ने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते कहा कि जीविका से जुड़ने के बाद उन्हें बोलने एवं नेतृत्व करने का आत्मविश्वास मिला है. महिलाओं ने यह भी कहा कि संगठित प्रयासों से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है. जिले के सभी प्रखंडों में 12 महिला संवाद रथ संचालित किए जा रहे हैं. जो हर पंचायत में पहुंचकर महिलाओं को उनकी समस्याओं एवं अधिकारों के प्रति जागरूक कर रहे हैं. इन रथों के माध्यम से योजनाओं पर आधारित लघु फिल्में दिखाई जा रही हैं. जो सरकारी योजनाओं एवं उनके लाभों को सरल व प्रभावी तरीके से समझा रही है. साथ ही, महिलाओं को योजनाओं से संबंधित लीफलेट्स वितरित की जा रही है. जिससे वे योजनाओं की जानकारी को बेहतर ढंग से समझ सके.
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