Samastipur News:समस्तीपुर : जिले में जन्म के एक घंटे के भीतर लक्ष्य का 57.9 फीसद माताओं ने नवजात को ब्रेस्ट फीडिंग कराया है. जिले का वार्षिक लक्ष्य 141502 है, इसमें 81981 माताओं ने बच्चे के जन्म के भीतर ब्रेस्ट फीडिंग कराया है. जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराने को गोल्डेन ऑवर कहा जाता है. जन्म के एक घंटे के भीतर नवजात को स्तनपान कराना पूरे जीवनकाल के सेहत की नींब का काम करता है. मां का पहला दूध जिसे कोलोस्ट्रम कहा जाता है, इसे पिलाना अत्यंत आवश्यक है. शिशु के लिये यह पोषण का पहला स्रोत होता है, यह शिशु को रोग रोधी बनाता है, यह शिशु को रोगों से सुरक्षित रखता है. बच्चे का जन्म सामान्य ढंग से हुआ हो या सिजेरियन दोनों स्थिति में बच्चों को जन्म के एक घंटे के भीतर मां को स्तनपान कराना चाहिये. दूसरी ओर बच्चे को समय से स्तनपान कराने से वह आसानी से दूध ग्रहण करने लगता है. मां का दूध बच्चे के पाचन और प्रतिरक्षा सिस्टम दोनों को दुरुस्त बनाता है. इसके साथ ही जन्म से लेकर छह माह तक केवल मां का दूध ही बच्चों के लिये सबसे बेहतर आहार होता है. इस अवधि में बच्चों को पानी, अन्य दूध, शहद आदि कुछ भी नहीं देना चाहिये. बच्चे को मां का दूध हर वह पोषक तत्व और एंडीबॉडी प्रदान करता है, जो नवजात को संक्रमणों से बचाने में मदद करता है. स्तनपान से मां को कई फायदे होते हैं. नियमित स्तनपान कराने से महिलाओं में स्तन कैंसर, ओवरी कैंसर, मोटापा और टाइप-2 डायबिटीज से बचाव होता है. अंतरराष्ट्रीय आंकड़े बताते हैं कि बच्चे के जन्म के पहले घंटे में स्तनपान कराने से बाल मृत्यु दर में 88 प्रतिशत तक की कमी आती है. इतना ही नहीं डायरिया और श्वसन संक्रमण जैसी आम बीमारियों से भी बचाव होता है. समय पर स्तनपान से डायरिया की संभावना में 54 प्रतिशत तक और श्वसन के संक्रमण में 32 प्रतिशत की कमी आती है.
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