मोहिउद्दीननगर .मो. रफी केवल एक गायक नहीं बल्कि भारतीय संगीत के धरोहर हैं उनके गीत पीढ़ियों को जोड़ते हैं और भावनाओं को जीवंत करते हैं.ऐसे आयोजन उनके योगदान को स्मरण करने का एक सराहनीय प्रयास है. यह बातें गुरुवार को जिला ऑर्केस्ट्रा संघ के बैनर तले प्रख्यात पार्श्व गायक मो. रफी की पुण्यतिथि पर आयोजित संगीतमय श्रद्धांजलि के दौरान संतोष कुमार उर्फ महात्मा जी ने कही. अध्यक्षता के एन सिंह ने की. संचालन मो.अब्दुल ने किया. वक्ताओं ने कहा कि रफी साहब की आवाज ने भारतीय संगीत को एक नई दिशा दी और उनकी याद हमेशा हमारे साथ रहेगी. साथ ही सांस्कृतिक और संगीतमय आयोजनों के माध्यम से भारतीय संगीत की विरासत को संरक्षित और प्रचारित करने के लिए सार्थक प्रयास की जरूरत है. तुम मुझे यूं भुला न पाओगे, मन तड़पत हरि दर्शन को आज, चाहूंगा तू तुझे शाम सवेरे, बाबुल की दुआएं लेती जा, दिल का सुना सुना सा, आदमी मुसाफिर है, बड़ी दूर से आएं हैं प्यार का तोहफा लाएं हैं, इस भरी दुनिया में कोई भी हमारा ना हुआ आदि गीतों को सुनकर संगीत समारोह में पहुंचे श्रोता भाव विभोर हो गये. उनकी मधुर आवाज की गीतों ने सभी को झूमने को मजबूर कर दिया. इस मौके पर कैलाश पासवान, अजीत कुमार, सोनू कुमार, विकास कुमार, आदित्य कुमार, साहित्य कुमार, गौतम कुमार, दिलीप कुमार, जितेंद्र कुमार, संजय सम्राट, मोहन कुमार, विक्रम कुमार मौजूद थे.
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